ॐ शांति divine soul
मेरा पूरा खानदान ब्रह्नाकुमारीज़ को नापसंद करता है । जब मैं इस अलौकिक रास्ते पर आगे बड़ा तो मेरे परिवार वालों ने मुझे इस रास्ते से हटाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए ... "साम दाम दंड भेद" सब कुछ try किया । पर मैं नहीं हिला।
पर मैं भी अड़ गया था । मेरे पूरे खानदान ने मेरा boycott कर दिया था । पर मैं नहीं हिला ।
मेरे ब्राह्मण जीवन में एक वक़्त ऐसा आया था की
मुझे भी मेरी लौकिक माँ की ज़िन्दगी और बाबा में से किसी एक को चुनना पड़ा ।
उन दिनों मैं कमरे का दरवाजा अंदर से बंद करके खूब रोया करता था ।
पर मैंने नम आँखों से अपने पूरे खानदान को अपना decision सूना दिया की "मैंने दोनों में से बाबा को चुन लिया है।"
((( ये मेरी वही माँ थी जिसने हम दो भाई बहनो को ज़िन्दगी भर एक प्राइवेट स्कूल में नॉकरी करके पाला था। मेरे पापा तो पूरी ज़िन्दगी शराब और जुएं में ही व्यस्त रहे । )))
मेरा decision सुनने के बॉद मेरे पूरे खानदान ने मुझे कपूत declare कर दिया ।
मैंने कहा :- "भले"
पर धीरे धीरे जैसे जैसे समय बीतता गया ... परिस्थितियां बदली ... हालात बदले ... बहुत कुछ बदला...
अपने सभी हथियार try कर लेने के बाद सभी धीरे धीरे चुप हो गए । और उनके पास मुझे एक BK के तौर पर स्वीकार करने के अलावा और कोई option नहीं बची ।
मेरी लौकिक माँ भी आज पूरी तरह से ठीक है ...और सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं.... कुछ भी नहीं हुआ ... बाबा ने पूरा साथ दिया ... और मुझ पर कोई दाग नहीं लगने दिया ।
आज मैं और मेरी मम्मी इकठे रहते हैं । आज सब कुछ ठीक है । मेरे पूरे खानदान को मुझे स्वीकार करना ही पड़ा
"हिम्मत - ऐ - बच्चे ... मदद - ऐ - बाप"
ये तो मैंने अपनी story आपको short में बतायी है । फिर कभी आपको अच्छे से detail में बताएँगे ...
हमें बस धैर्य बनाये रखना है पूरी हिम्मत से आगे बढ़ना है । सफलता हमारे कदम चूमेगी ... बाबा को कस के पकड़ लो ... दिल से बोलो :-"मेरा बाबा" तो बाबा भी बंधा हुआ है मदद करने के लिए ....
हमारी इस विजय की गाथा में ग्रन्थ लिखे जाएंगे... पूरे निश्चय के साथ आगे बड़ो ।
हम तो शिव शक्ति हैं । हम हार नहीं माननी है ...
बाबा के हर बच्चे को अपने ब्राह्मण जीवन में एक बार ऐसे पेपर देने होते हैं ।
हमारा यज्ञ ऐसी कहानियों से भरा हुआ है ।
और बाबा अपने हर बच्चे का साथ निभाता है । और उसे हर परिस्थिती से बहार ले आता है ।
हमें बस हर परिस्थिति में निश्चय और हिम्मत बनाये रखनी है । और हम विजयी बनकर ही बहार निकलेंगे ...
और बाबा को अपने दिल में बसा लेना है ... उसे कस के पकड़ लेना है
हमारी दृढ़ता के आगे धीरे धीरे हमारे लौकिक परिवार वाले धीरे धीरे झुकते चले जाते हैं ...उन्हें हमें बाबा का बच्चा स्वीकार करना ही होता है ...
दादियों को कई कई दिनों तक उनके लौकिक परिवार वाले कमरे में बंद रखते थे ... उन्हें पीटते थे ...
पर दादिया दृढ़ रही ... अटल रही ... और आज वो महारानियां बन चुकी हैं ...
उनकी दृढ़ता के आगे सभी विघ्न रूपी पहाड़ चकना चूर हो गए ...
हमारा यज्ञ ऐसी कहानियों से भरा पड़ा है ...
आपमें भी दृढ़ता की कोई कमी नहीं ... अब बस इसे maintain रखना है ...
विजय तो हुआ पडी है ।
💫 एक बल एक भरोसा 💫
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