Monday, 27 March 2017

WHAT'S MATURITY❓ परिपक्वता क्या होती है

💐💐 शुभ प्रभातः ॐ शांति 💐💐
        WHAT'S MATURITY❓
       परिपक्वता क्या होती है
               🔸🔸🔸

🔶When you stop trying to change people, and instead focus on changing yourself, it means that you have got matured.
🔷जब आप अन्य सभी में बदलाव लाने के स्थान पर स्वयं अपने आप में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हो जाएँ तो इसका अर्थ है कि आपमें परिपक्वता आ गई है।

🔶Maturity is when you accept people for who they are.
🔷जब आप जो व्यक्ति जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करने लगें तो यह आपकी परिपक्वता का परिचायक है।

🔶Maturity is when you understand that everyone is right in their own perspective.
🔷जब आप यह समझने लगें कि प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने दृष्टिकोण के अनुसार सही है तो इसका तात्पर्य यही है कि आपकी सोच परिपक्व हो गई है।

🔶Maturity is when you learn to "let go".
🔷जब आप यह सोचना सीख जाएँ कि "छोडो, जाने दो" तो समझिये कि आपमें परिपक्वता आ गई है।

🔶Maturity is when you are able to drop "expectations" from a relationship and give for the sake of giving.
🔷जब आप किसी रिश्ते में केवल 'कुछ देना है' इसलिये दें और बदले में किसी भी प्रकार की कोई आशा ना रखें  तो इसका अर्थ यही है कि आपमें परिपक्वता प्रवेश कर गई है।

🔶Maturity is when you understand that whatever you do, you do for your own peace.
🔷जब आपको यह समझ आ जाए कि जो कुछ भी आप कर रहे हैं वह अपने स्वयं के मन की शांति के लिये कर रहे हैं तो इसका अर्थ यही है कि अब आप परिपक्व हो गये हैं।

🔶Maturity is when you stop proving to the world how intelligent you are.
🔷जब आप संसार में सबके समक्ष अपनी बुद्धिमत्ता को प्रमाणित करना बंद कर दें तो इसका तात्पर्य यह है कि आप परिपक्व हो गये हैं।

🔶Maturity is when you focus on positives in people.
🔷जब आप लोगों में उनकी सकारात्मकता पर ही केंद्रित होने लगें तो इसका अर्थ यही है कि आप परिपक्व हो गये हैं।

🔶Maturity is when you do not seek approval from others.
🔷जब दूसरों से स्वीकृति प्राप्त करना बन्द कर दें तो इसका तात्पर्य यह है कि आप परिपक्व हो गये हैं।

🔶Maturity is when you stop comparing yourself with others.
🔷जब आप अन्य व्यक्तियों से अपना मुकाबिला करना बन्द कर दें तो इसका अर्थ है कि आप परिपक्व हो गये हैं।

🔶Maturity is when you are at peace with yourself.
🔷जब आप स्वयं अपने आप तक सीमित रह कर भी शान्त अनुभव करने लगें तो इसका तात्पर्य यही है कि अब आप परिपक्व हो गये हैं।

🔶Maturity is when you can differentiate between "need" and "want, and you can let go of your wants.
🔷जब आपको यह समझ आ जाये कि इच्छाओं और आवश्यकताओ के मध्य क्या अन्तर होता है और इच्छाओ का दमन करना सीख लें तो इसका मतलब यह है कि परिपक्व और समझदार हो गये हैं।

🔶Maturity is when you stop attaching "happiness" to material things.
🔷जब आपको लगने लगे कि भौतिक वस्तुओं का और धन-संपत्ति का मनुष्य की सुख-शान्ति और खुशियों से कोई सम्बन्ध नहीं है तो इसका अभिप्राय है कि आप परिपक्व हो गये हैं।

🔶Be simple.. Be positive..Be relax.. and show that you are mature enough.
🔷सरल और सकारात्मक रह कर स्वच्छन्दता का अनुभव करो और अन्य व्यक्तियों को यही अनुभव करने दो कि आप परिपक्व हो गये हैं।

Some Guidelines For Giving Marks To Yourself In Daily Chart :-

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Some Guidelines For Giving Marks To Yourself In Daily Chart :-

-- अगर आपने आधा घंटा मुरली revise की या बाबा की कोई अव्यक्त वाणी पडी या कोई और class सुनी तो उसे भी मनन चिंतन में count कर सकते हैं ।

-- अगर आपने बार बार सभी को आत्मा देखने का अभ्यास किया या उस तरह का कोई और अभ्यास किया तो उसे आप स्वमान के अभ्यास में count कर सकते हैं । आप दिन में अलग अलग समय पर अलग स्वमान का अभ्यास् भी कर सकते हैं।

-- अगर आप अपने लोकीक profession या किसी और जिम्मेवारी की वजह से 6:30 to 7:30 नुमा शाम का योग नहीं कर पाए और वो आपने अगर 2 शिफ्ट्स में किया ( suppose 5 to 5:30 & 8:30 to 9 ) तो उसे भी आप नुमा शाम के योग में count कर सकते हैं ।

-- अगर आपने नुमा शाम के योग के समय कोई अच्छी से class सुनी या बाबा की कोई अव्यक्त वाणी पडी तो उसे भी आप नुमा शाम के योग में count कर सकते हैं ।

-- लेकिन अगर आप मुरली class में 5 मिनट भी देरी से पहुंचे या अमृत्वेला या नुमशाम योग 5 मिनट भी कम किया तो उसके मार्क्स आपको काटने हैं ।

-- अगर मुरली आत्मिक स्वरूप में स्थित होकर नहीं सुनी या मुरली सुनते समय बुधी इधर उधर भटकती रही ..... तो भी आपको मार्क्स काटने हैं  ।

-- अगर एक बार भी पानी बाबा को याद किये बिना पिया तो उसके भी मार्क्स आपको काटने है ।

-- अगर खाते समय 2-3 मिनट भी बुधी बाबा से हटी तो उसके भी मार्क्स आपको काटने हैं ।

-- अगर सुबह उठते ही बाबा की याद तुरंत नहीं आई और याद आने में 30 सेकंड की भी देरी हुई तो उसके भी मार्क्स आपको काटने हैं ।

धन्यवाद।
ॐ शांति।

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चार्ट में खुद को marks देने का आधार :-

-- Chart में आपका खुद को marks देने का आधार होगा आपकी अपने पुरुषार्थ से संतुष्टता। जिरतना आप अपने आज के पुरुषार्थ से संतुष्ट होंगे .... उसी हिसाब से आप खुद को चार्ट में मार्क्स देंगे ।

खुद से आप पुरुषार्थ में बहुत ज्यादा expectations भी ना लगायें की पूरी ही ना हो सकें । और बहुत कम expectations भी ना करें की आपका पुरुषार्थ बिलकुल भी गति ना पकडे ।

जैसे की एक 5 साल से ज्ञान में चल रहे बाबा के बच्चे ने अगर दिन में लगभग 60-70 बार स्वमान का अभ्यास किया तो वह खुद को स्वमान के अभ्यास में 15 out of 15 दे सकता है । लेकिन एक हफ्ते के बाद आप खुद को 15 out of 15 तभी दें अगर स्वमान के अभ्यास की counting 70 से 75 हो जाए । इस तरह धीरे धीरे पुरुषार्थ में अपनी संतुष्टता का parameter बढ़ाते चलें और खुद की अपने पुरुषार्थ की संतुष्टता के आधार पर पुरुषार्थ के अलग अलग नियमों और तरीकों में खुद को marks दें ।  खुद से एक दम से बहुत ज्यादा उम्मीदें न करें।

-- अगर अम्रुत्वेला आपको 45 मिनट ठीक ठाक से अनुभूति भी हुई तो भी आप खुद को 15 out of 15 दे सकते हैं लेकिन एक हफ्ते के बाद अगर आप योग की गहराई में 1% increase महसूस नहीं करते तो तब आप खुद को 14 out of 15 ही दें ।

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बाबा का एक ऐसा बच्चा जिसे कल ही बाबा का परिचय मिला है और अगर आज वो अमृत्वेला और नुमशाम योग के समय बाबा की फोटो के सामने बैठकर अगर सिर्फ बाबा बाबा भी मन में दोहराता रहता है तो वेह खुद को 15 out of 15 दे सकता है।
लेकिन अगर बाबा का कोई बच्चा 5 साल से ज्ञान में चल रहा है तो योग के समय विशेष आतम अभिमानी स्तिथि के अनुभव के अनुभव के बाद ही वह खुद को 15 out of 15 दे सकता है।
बाबा का कोई ऐसा बच्चा जो बहुत सालों साल से योगाभ्यास कर रहा है तो वह खुद को 15 out of 15 तभी देगा जब तक वह ज्वालामुखी योग की स्तिथि का अनुभव न कर ले।
हर बाबा के बच्चे के लिए उसकी स्तिथि प्रमाण उसके अनुभव प्रमाण संतुष्टता का parameter और मार्क्स देने का parameter अलग अलग है।
ॐ शान्ति

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आप satisfaction का मतलब इस तरह से लें की :-

जितना पुरुषार्थ आज के दिन करने की capability आपके अंदर है .... क्या आपने उतना पुरुषार्थ किया ??

आज के दिन जितनी बार हम स्वमान का अभ्यास कर सकते हैं  ... क्या उतना हो सका ?? हमारी last stage तो यह है की हम 24 घंटे स्वमान में रहें। पर हमें उस last stage से compare करके खुद को marks नहीं देने हैं । अगर आप last stage से compare करेंगे तो आप सिर्फ खुद 15 में से 2 या 3 no ही दे पायेंगे । आपके अंदर आज कितनी capability है स्वमान में रहने की ?? और reality में कितना उस स्वमान में रहे ?? यही अंतर हमारे marks decide करता है ।अगर हमने अपनी capability के अनुसार 100% perform किया तो हम खुद को 15 out of 15 देते हैं ।

अमृत वेला के मार्क्स भी हम इसी आधार पर देते हैं की क्या आज हमने अपनी शमता के अनुसार योग की गहराई महसूस की ?? लेकिन योग की actual last stage वो है जो आज दादियों को अनुभव होती हैं  ...

अगर आप उस last stage से compare करेंगे तो आप अमृत्वेला योग में खुद को कभी भी 15 में से 2 या 3 marks से ज्यादा नहीं दे पायेंगे ।

तो यहाँ पर satisfaction का मतलब है की क्या हमने अपनी शमता के अनुसार perform किया ??

आपकी शमता धीरे धीरे बढेगी .... जैसे जैसे आपकी शमता बड़ती चली जाए तो आप अपनी संतुष्टता का parameter भी बढ़ाते चके जाएँ और उसी अनुसार खुद को marks भी दें ।
ग्रुप में हर सदस्य की स्थिति प्रमाण उनकी satisfaction का parameter अलग अलग है ।

ॐ शांति
धन्यवाद

Sunday, 26 March 2017

All messages delete karna

✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨

आप रोज़ाना रात को सोने से पहले इस process को जरूर फॉलो करें :-

सभी important msgs को ONE PUNCH NOTES APP में SAVE कर लीजिये ।

और नीचे दिए हुए process को फॉलो करते हुए whatsapp का सारा data clear कर दीजिये :-

1. SETTINGS

2. CHATS AND CALLS

3. CHAT HISTORY

4. CLEAR ALL CHATS

✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨

अगर आप डेली रात को सोने से पहले इस process को फॉलो करेंगे

तो चाहे आपके मोबाइल में 100 ग्रुप्स भी क्यों न हों , आपके मोबाइल में कभी भी किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं आएगी ।

✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨

अटापट्टू कैसे अड़े रहे लक्ष्य के लिए

श्रीलंका का एक खिलाड़ी था, उसके
दिमाग में बस एक ही चीज चलती थी….
क्रिकेट.क्रिकेट और बस क्रिकेट…
अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर उसे
श्री लंका की टेस्ट टीम में डेब्यू करने
का मौका मिला….
पहली इन्निंग्स…… जीरो पे आउट
दूसरी इन्निंग्स……. जीरो पे आउट
.
.
.
टीम से निकाल दिया गया….
.
practice…practice….practice….
फर्स्ट क्लास मैचेज में लगातार अच्छा
प्रदर्शन किया और एक 21 महीने बाद
फिर से मौका मिला।
पहली इन्निंग्स…… जीरो पे आउट
दूसरी इन्निंग्स……. 1 रन पे आउट

फिर टीम से बाहर।
..
प्रैक्टिस….प्रैक्टिस….प्रैक्टिस….
फर्स्ट क्लास मैचेज में हजारों रन बना
डाले और 17 महीने बाद एक बार फिर से
मौका मिला….
पहली इन्निंग्स…… जीरो पे आउट
दूसरी इन्निंग्स……. जीरो पे आउट
.
.
.
फिर टीम से निकाल दिया गया….
.
प्रैक्टिस…
प्रैक्टिस….प्रैक्टिस….प्रैक्टिस…
प्रैक्टिस….प्रैक्टिस…
और तीन साल बाद एक बार फिर उस
खिलाड़ी को मौका दिया
गया…..जिसका नाम था मर्वन
अट्टापट्टू
इस बार अट्टापट्टू नहीं चूका उसने जम
कर खेला और ….श्रीलंका की और से 16
शतक और 6 दोहरे शतक जड़ डाले और
श्रीलंका का one of the most
successful कप्तान बना!
सोचिये जिस इंसान को अपना दूसरा
रन बनाने में 6 साल लग गए अगर वो
इतना बड़ा कारनामा कर सकता है तो
दुनिया का कोई भी आदमी कुछ भी
कर सकता है!
और कुछ कर गुजरने के लिए डंटे रहना
पड़ता है…लगे रहना पड़ता है…मैदान छोड़
देना आसान होता है…मुश्किल होता है
टिके रहना…और जो टिका रहता है वो
आज नहीं तो कल ज़रूर सफल होता है।
इसलिए आपने जो कुछ भी पाने का
निश्चय किया है उसे पाने
की अपनी
जिद मत छोडिये…
मन से किये छोटे
प्रयास
हमेशा बड़ा परिणाम देते है

Friday, 17 March 2017

POWER OF POSITIVE THOUGHTS


*आज इस पोस्ट को पढ़कर सारी ज़िन्दगी की टेंशन खत्म हो जायेगी*।

*बस धैर्य ओर शांति से पढ़े*।

*POWER OF POSITIVE THOUGHT*

*एक व्यक्ति काफी दिनों से चिंतित चल रहा था जिसके कारण वह काफी चिड़चिड़ा तथा तनाव में रहने लगा था। वह इस बात से परेशान था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के ऊपर है, किसी ना किसी रिश्तेदार का उसके यहाँ आना जाना लगा ही रहता है,

*इन्ही बातों को सोच सोच कर वह काफी परेशान रहता था तथा बच्चों को अक्सर डांट देता था तथा अपनी पत्नी से भी ज्यादातर उसका किसी न किसी बात पर झगड़ा चलता रहता था*।

*एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और बोला पिताजी मेरा स्कूल का होमवर्क करा दीजिये, वह व्यक्ति पहले से ही तनाव में था तो उसने बेटे को डांट कर भगा दिया लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसका गुस्सा शांत हुआ तो वह बेटे के पास गया तो देखा कि बेटा सोया हुआ है और उसके हाथ में उसके होमवर्क की कॉपी है। उसने कॉपी लेकर देखी और जैसे ही उसने कॉपी नीचे रखनी चाही, उसकी नजर होमवर्क के टाइटल पर पड़ी*।

*होमवर्क का टाइटल था* *********************

*वे चीजें जो हमें शुरू में अच्छी नहीं लगतीं लेकिन बाद में वे अच्छी ही होती हैं*।

*इस टाइटल पर बच्चे को एक पैराग्राफ लिखना था जो उसने लिख लिया था। उत्सुकतावश उसने बच्चे का लिखा पढना शुरू किया बच्चे ने लिखा था* •••

● *मैं अपने फाइनल एग्जाम को बहुंत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये बिलकुल अच्छे नहीं लगते लेकिन इनके बाद स्कूल की छुट्टियाँ पड़ जाती हैं*।

● *मैं ख़राब स्वाद वाली कड़वी दवाइयों को बहुत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये कड़वी लगती हैं लेकिन ये मुझे बीमारी से ठीक करती हैं*।

● *मैं सुबह - सुबह जगाने वाली उस अलार्म घड़ी को बहुत धन्यवाद् देता हूँ जो मुझे हर सुबह बताती है कि मैं जीवित हूँ*।

● *मैं ईश्वर को भी बहुत धन्यवाद देता हूँ जिसने मुझे इतने अच्छे पिता दिए क्योंकि उनकी डांट मुझे शुरू में तो बहुत बुरी लगती है लेकिन वो मेरे लिए खिलौने लाते हैं, मुझे घुमाने ले जाते हैं और मुझे अच्छी अच्छी चीजें खिलाते हैं और मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास पिता हैं क्योंकि मेरे दोस्त सोहन के तो पिता ही नहीं हैं*।

*बच्चे का होमवर्क पढने के बाद वह व्यक्ति जैसे अचानक नींद से जाग गया हो। उसकी सोच बदल सी गयी। बच्चे की लिखी बातें उसके दिमाग में बार बार घूम रही थी। खासकर वह last वाली लाइन। उसकी नींद उड़ गयी थी। फिर वह व्यक्ति थोडा शांत होकर बैठा और उसने अपनी परेशानियों के बारे में सोचना शुरू किया*।

●● *मुझे घर के सारे खर्चे उठाने पड़ते हैं, इसका मतलब है कि मेरे पास घर है और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से बेहतर स्थिति में हूँ जिनके पास घर नहीं है*।

●● *मुझे पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, इसका मतलब है कि मेरा परिवार है, बीवी बच्चे हैं और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से ज्यादा खुशनसीब हूँ जिनके पास परिवार नहीं हैं और वो दुनियाँ में बिल्कुल अकेले हैं*।

●● *मेरे यहाँ कोई ना कोई मित्र या रिश्तेदार आता जाता रहता है, इसका मतलब है कि मेरी एक सामाजिक हैसियत है और मेरे पास मेरे सुख दुःख में साथ देने वाले लोग हैं*।

*हे ! मेरे भगवान् ! तेरा बहुंत बहुंत शुक्रिया ••• मुझे माफ़ करना, मैं तेरी कृपा को पहचान नहीं पाया।*

_*इसके बाद उसकी सोच एकदम से बदल गयी, उसकी सारी परेशानी, सारी चिंता एक दम से जैसे ख़त्म हो गयी। वह एकदम से बदल सा गया। वह भागकर अपने बेटे के पास गया और सोते हुए बेटे को गोद में उठाकर उसके माथे को चूमने लगा और अपने बेटे को तथा ईश्वर को धन्यवाद देने लगा*।_

*हमारे सामने जो भी परेशानियाँ हैं, हम जब तक उनको नकारात्मक नज़रिये से देखते रहेंगे तब तक हम परेशानियों से घिरे रहेंगे लेकिन जैसे ही हम उन्हीं चीजों को, उन्ही परिस्तिथियों को सकारात्मक नज़रिये से देखेंगे, हमारी सोच एकदम से बदल जाएगी, हमारी सारी चिंताएं, सारी परेशानियाँ, सारे तनाव एक दम से ख़त्म हो जायेंगे और हमें मुश्किलों से निकलने के नए - नए रास्ते दिखाई देने लगेंगे।*
💐💐

*अगर आपको  बात अच्छी लगे तो उसका अनुकरण करके जिन्दगीको खुशहाल बनाइये*.

रोज मनन चिंतन और चार्ट देने का नियम

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❤✊🏼रोजाना मनन चिंतन और चार्ट देने का नियम हम नियमित रूप से पालन कर पाएं.... इसके लिए हमें इन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए :-

❤✊🏼- चार्ट और मनन चिंतन को बोझ न समझें ।

❤✊🏼- इन्हें मनोरंजन का रूप में फॉलो करें और enjoy करें ।

❤✊🏼- चार्ट में मार्क्स लेने के अलग अलग तरीके निकालते
रहे ।

❤✊🏼- कम मार्क्स आने पर चार्ट देना बंद न करें । बाबा के बहादुर बच्चे बनें ।

❤✊🏼- चार्ट में किसी के साथ competition न करके सिर्फ खुद के साथ competition करें।

❤✊🏼- इस बात की बिलकुल प्रवाह न करें की कोई आपके बारे में क्या सोचेगा ? इस दुनिया का सबसे बड़ा रोग :- "मेरे बारे में क्या कहते हैं लोग"

❤✊🏼एक बार चार्ट देने का नियम और मनन चिंतन लिखने का नियम पक्का हो गया तो खेल खेल में ही पुरुषार्थ में सहज ही तीव्रता महसूस करेंगे... और बाबा की इस श्रीमत का पालन करने से बाबा की extra मदद का अनुभव होगा ।

❤✊🏼बहुत से बाबा के बच्चे कई बार बाबा को चार्ट देना सिर्फ इसलिए बंद कर देते हैं क्योंकि

❤✊🏼- क्योंकि चार्ट देते हुए हमें खुद के अवगुण और कमियां स्पष्ट दिखाई देती है । वे खुद के अवगुण देखते ही अपनी आँखें बंद कर लेते है । उन्हें खुद की सत्यता खुद के सामने स्वीकार करने से ही डर लगता है ।

❤✊🏼साहस जुटाइये और सामना कीजिये सत्य का ।

❤✊🏼ये साहस जुटाना फिर भी आसान है।
पर शायद अंत में धरमराज 🎭 का सामना करने का साहस आप नहीं जुटा पायेंगे।

❤✊🏼"श्रेष्ठ संकल्प का एक कदम आपका और सहयोग के हज़ार कदम परमात्मा  के"

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Wednesday, 15 March 2017

🏼हम बाबा के बच्चों के लिए 😴रात्रि को 📋चार्ट देकर सोना क्यों अति आवश्यक है ?

🌹🏮🌹😴🌹🏮🌹😴

👼🏼हम बाबा के बच्चों के लिए 😴रात्रि को 📋चार्ट देकर सोना क्यों अति आवश्यक है ?

🏮बाबा के एक महावाक्य हैं :-
"जो बच्चे मुझे रात्रि में पोतमेल देकर सोयेंगे ...
उन्हें धरामराजपुरी में नहीं जाना पड़ेगा .... " ज़रा चिंतन कीजिये बाबा के इस महावाक्य पर की बाबा ने कितनी बड़ी बात कही है । खुद भगवान् ने धरमराजपुरी में ना जाने का कितना सरल रास्ता बताया है हमें।

🏮बाबा ने ये भी कहा है की जो बच्चे अपने पोतामेल में बाबा को खुद से की हुई छोटी या बड़ी अवग्यायें सच सच बता देते हैं ....
बाबा उनके आधे पाप माफ़ कर देता है । बाबा के ये महावाक्य सुनने के बाद तो संगम युग का कोई भी दिन ऐसा नहीं जाना चाहिए की हम बाबा को बिना चार्ट देकर सो जाएँ ।

👼🏼जो बच्चे😴 रात्रि में 🏮बाबा को अपना सच्चा सच्चा पोतामेल देकर सोते हैं बाबा उन बच्चों को आगे बड़ने के लिए अपनी extra मदद देता है ...
आपने सुना भी होगा :-
💓"सच्चे दिल पर साहेब राज़ी"🏮

🚶🏻बहुत बार ऐसा होता है की बहुत बहुत दिन बीत जाते है अल्बेलेपन में और हम अपने पुरुषार्थ पर कोई ख़ास विशेष attention नहीं देते । संगम्युग का बहुत सा हीरे तुल्य समय यूँ ही व्यर्थ में चला जाता है और हमें पता भी नहीं चल पाता है । सिर्फ एक चार्ट देने के पुरुषार्थ से हमें संगम युग के हर बीतते दिन की कीमत का एहसास हो जाता है । किसी भी एक दिन अगर हमने चार्ट में अच्छे marks नहीं लिए तो हमारा मन हमें खाता है और हम अगले दिन अच्छा पुरुषार्थ कर चार्ट में अच्छे मार्क्स लेने का दृङ संकल्प करते हैं ।

👹हम बहुत से विकारों पर विजय प्राप्त करने के लिए पुरुषार्थ करते हैं लेकिन एक ऐसा छिपा हुआ विकार जो हमें सालों तक आगे नहीं बड़ने देता ....
हमें चङती कला का अनुभव नहीं होने देता ...
वह विकार है अलबेलापन । अलबेलापन एक ऐसा विकार जो हमें सत्य को अच्छी तरह से जानते समझते हुए भी हमें सत्य की राह पर चलने नहीं देता । चार्ट देने का पुरुषार्थ सबसे पहले हमारे सबसे बडे छिपे हुए शत्रु अल्बेलेपन को उखाड़ फेंकता है ।

😐बाबा अब SEASON में सिर्फ 8 बार ही आते हैं । 🕑समय के इन इशारों को समझने की कोशिश करें। बाबा का अव्यक्त पार्ट समाप्ती की और है ।

🙌🏼"बहुत गयी  ..   थोड़ी रही ....
अब तो थोड़ी की भी थोड़ी रही "👍🏻

🌟जिस आत्मा ने अब भी अल्बेलेपन का त्याग नहीं किया...
उसके लिए अन्तकाल में सिवाए खून के आंसूं बहाने के कोई और चारा बाकी नहीं रह जायेगा।

📋 चार्ट श्रीमत रुपी लगाम को कसने का एक सहज साधन है .... और यह श्रीमत रुपी लगाम हमारे लिए सुरक्षा कवच का काम करती है । चार्ट अपने पुरुषार्थ की अति सूक्षम से सूक्षम कमियों को दूर करने का सहज साधन है ।

👰🏼हमारे इस यज्ञ में ऐसा कोई महारथी नहीं जो चार्ट देने की श्रीमत का पालन किये बिना महारथी बन गया हो । 40-50 साल से भी ज्यादा समय से समर्पित भाई भी आज भी रात को सोने से पहले बाबा को चार्ट देकर सोते हैं😴 ।

🕚आइये हम संगम युग के बचे हुए इस बहुत ही कम समय में खुद के साथ पुरुषार्थ की 🏃🏻RACE करें और खुद से एक वादा करें की संगम युग के बचे हुए हर एक दिन में बाबा को याद का चार्ट देकर ही सोयेंगे।

✅एक ना एक दिन तो हमें ये शुरुआत करनी ही होगी तो क्यों न ये शुरुआत आज से ही करें ।

💭श्रेष्ठ संकल्प का एक कदम आपका ...
🏮सहयोग के एक हज़ार कदम बाबा के .
   
💓 से ॐ शान्ति 🌹

                          💓😴💓😴💓😴

जीत पक्की है।

✨ *जीत पक्की है* ✨

कुछ करना है, तो डटकर चल।
           *थोड़ा दुनियां से हटकर चल*।
लीक पर तो सभी चल लेते है,
      *कभी इतिहास को पलटकर चल*।
बिना काम के मुकाम कैसा?
          *बिना मेहनत के, दाम कैसा*?
जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल
        *तो राह में, राही आराम कैसा*?
अर्जुन सा, निशाना रख, मन में,
          *ना कोई बहाना रख*।
जो लक्ष्य सामने है, 
बस उसी पे अपना ठिकाना रख।
          *सोच मत, साकार कर*,
अपने कर्मो से प्यार कर।
          *मिलेंगा तेरी मेहनत का फल*,
किसी और का ना इंतज़ार कर।
    *जो चले थे अकेले*
       *उनके पीछे आज मेले हैं*।
    जो करते रहे इंतज़ार उनकी
  जिंदगी में आज भी झमेले है!

Tuesday, 14 March 2017

कार चलाते रहो।

धीरूभाई अम्बानी किसी अर्जेंट मिटिगं करने जा रहे थे...।

राह में एक भयंकर तूफ़ान आया, ड्राइवर ने अम्बानी से पूछा -- अब हम क्या करें...?

अम्बानी ने  जवाब दिया -- कार चलाते रहो.

तूफ़ान में कार चलाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, तूफ़ान और भयंकर होता जा रहा था. अब मैं क्या करू...? -- ड्राइवर ने पुनः पूछा.

कार चलाते रहो. -- अम्बानी ने पुनः कहा.

थोड़ा आगे जाने पर ड्राइवर ने देखा की राह में कई वाहन तूफ़ान की वजह से रुके हुए थे......

उसने फिर अम्बानी से कहा -- मुझे कार रोक देनी चाहिए.......मैं मुश्किल से देख पा रहा हुं...!

यह भयंकर है और प्रत्येक ने अपना वाहन रोक दिया है...!

इस बार अम्बानी ने फिर निर्देशित किया -- कार रोकना नहीं. बस चलाते रहो....

तूफ़ान ने बहुत ही भयंकर रूप धारण कर लिया था किन्तु ड्राइवर  ने कार चलाना नहीं छोड़ा....!

और अचानक ही उसने देखा कि कुछ साफ़ दिखने लगा है....!

कुछ किलो मीटर आगे जाने के पश्चात ड्राइवर ने देखा कि तूफ़ान थम गया और सूरज निकल आया...!

अब अम्बानी  ने कहा -- अब तुम कार रोक सकते हो और बाहर आ सकते हो.....!

चालक  ने पूछा -- पर अब क्यों...?

अम्बानी ने कहा -- जब तुम बाहर आओगे तो देखोगे कि जो राह में रुक गए थे, वे अभी भी तूफ़ान में फंसे हुए हैं....!

चूँकि तुमने कार चलाने का प्रयत्न नहीं छोड़ा, तुम तूफ़ान के बाहर हो......!

यह किस्सा उन लोगों के लिए एक प्रमाण है जो कठिन समय से गुजर रहे हैं......!

मजबूत से मजबूत इंसान भी प्रयास छोड़ देते हैं.....!
किन्तु प्रयास कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए.....!

निश्चित ही जिन्दगी के कठिन समय गुजर जायेंगे और सुबह के सूरज की भांति चमक आपके जीवन में पुनः आयेगी..!

ऐसा नहीं है की जिंदगी बहुत छोटी है...।
दरअसल हम जीना ही बहुत देर से शुरू करते हैं...!

...🙏🙏🙏...

मेरे ब्राह्मण जीवन का अनुभव :- (विशाल भैया)

👼🏻🌟👼🏻🌟🙇🏻🙇🏻🌟👼🏼🌟👼🏼

मेरे ब्राह्मण जीवन का अनुभव :-

"""" हर परिस्थिति हमें कुछ न कुछ सीखाने के लिये आती है ... हमें अनुभवी मूरत बनाने के लिए आती है ... हर विघ्न हमें आगे बढ़ाने के लिए आता है ... हमें अगली क्लास में ले जाने के लिए आता है """"

FAILURES ARE THE PILLARS OF SUCCESS

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★★★ किसी भी परिस्थिति के आने पर सबसे पहले मैं यह खोजता हूँ की वह परिस्थिति मुझे क्या सिखाने आई है ... हर पतिस्थिति एक बेहतरीन opportunity लेकर आती है अपने अंदर एक गुण  develop करने की जिसके कुछ उदाहरण इस प्रकार से हैं :-

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★★★ धन का नुक्सान हो तो यही विचार चलते हैं की "यह एक बेहतरीन opportunity है खुद को ये सिखाने की एक दिन तो सब कुछ आँखों के सामने नष्ट होना ही है।  आँखों के सामने ही एक दिन हर चीज़ को आग लगेगी । अभी से अभ्यास करेंगे तो अंत समय में सब कुछ बिना हलचल में आये देख पाएंगे ।"

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★★★ कोई देह का संबंधी धोखा दे जाए तो वो मेरे लिए एक बेहतरीन opportunity होती है खुद को नष्टोमोहा बनाने की । खुद को ये पक्का करवाने की सच्चा साथी तो एक बाबा ही है । " मेरा तो एक शिव् बाबा दूसरा न कोई"

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★★★ सेवा में कोई सहयोग न दे तो मेरे लिए ये एक बेहतरीन मौका होता है खुद को एक पाठ पक्का करने की "करन करावनहार बाबा है ... सेवा उसकी है ... ये उसकी tension है की उसने अपनी सेवा कैसे आगे बढ़ानी है ...मेरी कोई tension नहीं है ... वो जाने उसका जाने काम ... मुझे तो बस मौज में रहना है "

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★★★ कर्मभोग आ जाए तो ये एक बेहतरीन opportunity है कर्मयोग से कर्मभोग पर विजय प्राप्त कर कल्प कलप की विजयी आतमा बन्ने की ...

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★★★ इस तरह हर परिस्थिति ज्ञान को धारणा में लेकर आती है ... और mature बनाती है और अनुभवी मूर्त बनाकर अगली क्लास में लेकर जाती है ।

अपने रास्ते में आने वाले हर पत्थर से हमें दीवार नहीं बल्कि bridje बना लेना है, हर परिस्थिति को हमें उन्नति की और ले जाने वाली सीडी बना लेना है ।

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★★★  मेरा mental setup कुछ इस तरह का है की मुझे अब ये लगने लगा है की महा विनाश अब शुरू हो चूका है ... और अब हमें अपनी आँखों से ये देह के सम्बन्ध और देह के पदार्थों का सर्वनाश देखने के लिए mentally ready रहना चाहिए ।

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★★★ जब हम स्कूल में पड़ते हैं तो final exam से पहले स्कूल में छोटे छोटे test लगातार होते हैं जो हमें उस final exam की अच्छी तरह से तैयारी करवाते हैं। इस तरह ये छोटी बड़ी परिस्थितिया हमें उस अंतिम पेपर को पास करवाने की निम्मित बनती हैं।

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★★★ आप सिर्फ ज्ञान और योग के बल पर ही आगे नहीं बड़ सकते .... आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियों का आना भी जरूरी है ।

परिस्थितियों का दिलेरी से सामना करने के अलावा हमारे पास कोई दूसरी option नहीं है । हम परिस्थितियों से भाग नहीं सकते ... अब जैसे जैसे समय आगे बढेगा ... परिस्थितिया और बढ़ेंगी ।

हर परिस्थिति का सामना करने के लिए मेरा एक favourite स्वमान है :-
"मैं बाबा का बहादुर बच्चा हूँ"

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★★★ किसी भी परिस्थिति के आने पर बाबा के कुछ महावाक्यों को मैं हमेशा याद रखता हूँ जो की मैं आप सभी के साथ शेयर करने जा रहा हूँ । बाबा के ये महावाक्य हर परिस्थिति में मेरी ताकत बनकर उभरते हैं और हर परिस्थिति का दिलेरी से सामना करने का बल देते हैं ।

जो की इस प्रकार हैं :-

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बापदादा (24/11/2014):-

बातो में घबराओ नहीं । मूर्ती बन रहे हो तो कुछ हैमर तो लगेंगे ही । जो जितना आगे होता है उसको तूफ़ान भी सबसे ज्यादा क्रॉस करने होते हैं लेकिन वो तूफ़ान उन्हों को तूफ़ान नहीं लगता , तोहफा लगता है । यह तूफ़ान भी अनुभवी बनने की गिफ्ट बन जाते हैं । इसलिए विघ्नों को वेलकम करो और अनुभवी बनते आगे बड़ते चलो ।

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बापदादा(13/5/2014):-

हर प्रकार की हलचल अति में होगी, परिवार में भी खिटखिट होगी, मन में भी अनेक उलझनें आयेंगी, धन भी नीचे ऊपर होगा | लेकिन जो बाप के साथ हैं, सच्चे हैं उनका जवाबदार बाप है | ऐसे समय पर मन बाप की तरफ़ हो तो निर्णय शक्ति से सब पार कर लेंगे | बाप की शक्ति से हर परिस्थिति को सहज हल कर लेंगे |

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बाबा शब्द की स्मृति से कारण को निवारण में परिवर्तन करने वाले सदा अचल अडोल भव !   

कोई भी परिस्थिति जो भल हलचल वाली हो लेकिन बाबा कहा और अचल बनें । जब परिस्थितियों के चिंतन में चले जाते हो तो मुश्किल का अनुभव होता है । अगर कारण के बजाए निवारण में चले जाओ तो कारण ही निवारण बन जाए क्योंकि मा. सर्वशक्तिमान् ब्राह्मणों के आगे परिस्थितियां चींटी समान भी नहीं । सिर्फ क्या हुआ, क्यों हुआ यह सोचने के बजाए, जो हुआ उसमें कल्याण भरा हुआ है, सेवा समाई हुई है... भल रूप सरकमस्टांश का हो लेकिन समाई सेवा है-इस रूप से देखेंगे तो सदा अचल अडोल रहेंगे ।

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निश्चित विजय के नशे में रह बाप की पदमगुणा मदद प्राप्त करने वाले मायाजीत भव

बाप की पदमगुणा मदद के पात्र बच्चे माया के वार को चैलेन्ज करते हैं कि आपका काम है आना और हमारा काम है विजय प्राप्त करना | वे माया के शेर रूप को चींटी समझते हैं क्योंकि जानते हैं कि माया का राज्य अब समाप्त होना है, हम अनेक बार के विजयी आत्माओं की विजय 100 परसेन्ट निश्चित है | यह निश्चित का नशा बाप की पदमगुणा मदद का अधिकार प्राप्त कराता है | इस नशे से सहज ही मायाजीत बन जाते हो |

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परिस्थितियों  को  गुडलक  समझ  अपने  निश्चय  के  फाउन्डेशन  को  मजबूत  बनाने  वाले अचल  अडोल  भव!   

कोई भी परिस्थिति आये तो आप हाई जम्प दे दो क्योंकि परिस्थिति आना भी गुड-लक है। यह निश्चय के फाउन्डेशन को मजबूत करने का साधन है। आप जब एक बारी अंगद के समान मजबूत हो जायेंगे तो यह पेपर भी नमस्कार करेंगे। पहले विकराल रूप में आयेंगे और फिर दासी बन जायेंगे। चैलेन्ज करो हम महावीर हैं। जैसे पानी के ऊपर लकीर ठहर नहीं सकती, ऐसे मुझ मास्टर सागर के ऊपर कोई परिस्थिति वार कर नहीं सकती। स्व-स्थिति में रहने से अचल-अडोल बन जायेंगे।

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निश्चयबुद्धि बन कमज़ोर संकल्पों की जाल को समाप्त करने वाले सफ़लता सम्पन्न भव

अभी तक मैजारिटी बच्चे कमज़ोर संकल्पों को स्वयं ही इमर्ज करते हैं – सोचते हैं पता नहीं होगा या नहीं होगा, क्या होगा....यह कमज़ोर संकल्प ही दीवार बन जाते हैं और सफ़लता उस दीवार के अन्दर छिप जाती है | माया कमज़ोर संकल्पों की जाल बिछा देती है, उसी जाल में फँस जाते हैं इसलिए मैं निश्चयबुद्धि विजयी हूँ, सफ़लता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है – इस स्मृति से कमज़ोर संकल्पों को समाप्त करो |

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हलचल में दिलशिकस्त होने के बजाए बड़ी दिल रखने वाले हिम्मतवान भव

कभी भी कोई शारीरिक बीमारी हो, मन का तूफ़ान हो, धन में या प्रवृत्ति में हलचल हो, सेवा में हलचल हो – उस हलचल में दिलशिकस्त नहीं बनो | बड़ी दिल वाले बनो | जब हिसाब-किताब आ गया, दर्द आ गया तो उसे सोच-समझकर, दिलशिकस्त बन बढ़ाओ नहीं, हिम्मत वाले बनो, ऐसे नहीं सोचो हाय क्या करूँ....हिम्मत नहीं हारो | हिम्मतवान बनो तो बाप की मदद स्वतः मिलेगी |

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ॐ शांति ।

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