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🎯 छोटा सा अनुभव:-
🏵 *राखी का अनुपम उपहार दिया बाबा ने*
🏵 रक्षाबन्दन के दिन सभी लौकिक और अलौकिक सेवाओ में ज्यादा बिजी होते ही हैं। हम भी हमेशा की तरह लौकिक मेहमानों से घिरे हुए थे। सुबह- सुबह मीटिंग होने के वजह से भाई( लौकिक पति/ युगल) सेंटर पर दीदी से राखी बाँधने नही चल सके।
🏵 और वो फुल्ल डे बिजी रहेंगे ये भी हमे पता था। पर मुझे भाई को राखी तो बंधवानी ही थी। बस बाबा को बोला :- बाबा आपकी राखी भाई के हाथ मे बांधनी ही है। उन्हें सेंटर पर तो लेकर जाना ही हैं। लौकिक राखी चाहे कितनी भी बाँध ले।
🏵 बाबा को जिम्मेदारी सौपकर किचन में लग गए सेवा के लिये। और करीब 11:30 बजे भाई अचानक घर पे आ गये और *दीदी ओ दीदी* बुलाने लगे।
घर मे तो लौकिक बेटे और मैं ही थे फिर मैंने महसूस किया वो मुझे ही *दीदी*कहकर बुला रहे हैं। फिर क्या खुशी से फुल कर भागी भागी ड्रॉइंग रूम में गये।
🏵 भाई के हाथ मे बाबा की राखी थी।
मुझे बोले मैं आज फुल्ल दे बिजी हूँ। अभी लौकिक बहन और बाकी के भी रिश्तेदार आ रहे है। उन्हें भी समय देना पड़ेगा।
🏵तो अब तुम मेरी *दीदी हो , बहन हो।* ये राखी ऑफिस में दीदी ने भेजी थी। अब तू ही इसे बाँध मेरे हाथ में।
मेरी आँखें तो ....👀👀... बस और क्या चाहिए बाबा .....यही तो पवित्रता के बल का फल मिल गया।
🏵हमने उन्हें विनाशी-अविनाशी टिका लगाया और राखी भी बाँधी। (बाबा से दिल मे कहा :- बाबा जल्दी से आप फ़ोटो निकालो। इसे सेवा के लिए use करेँगे)
भाई ने वो संकल्प कैच किये और छोटे बेटे रको बुलाया की फ़ोटो निकालो। लेकिन वादा करो कि आप ये बात किसी को भी नही बताओगे, नाही फ़ोटो दिखाओगे।
हम दोनों ने वादा किया। फोटोज भी निकाले इस पवित्र संगमयुगी रक्षाबन्दन के पर्व का।
(दो दिन के बाद सेंटर की दीदी जी ने भी फोन करके भाई को खास बुलाया और राखी बाँधी)
🏵लौकिक पति ने *दीदी कहा, राखी बंधवाई, और कभी अपवित्रता के बारेमे सोचेंगे भी नही ये वादा भी किया....*
🏵 *है ना ये अनुपम उपहार बाबा का* ❓❓❓🙏🏻😊🙏🏻
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ॐ शांति Divine Souls 🙏🏻😊
आप ईश्वरीय परिवार में कोई भी पोस्ट send करते हुए, आप उस पोस्ट के प्रति अपना दृष्टिकोण नीचे लिखी गए निमनलिखित प्रश्नो में से कोई भी 2-3 प्रश्न explain कर कर सकते हैं :-
🔰 *आपने क्या सीखा ?*
💎 *की प्राण जाये पर वचन न जाये।*
🔰 *आपने क्या क्या दृढ़ संकल्प किये ?*
💎 इस संगमयुग के अंत तक पवित्रता की राखी बाँधकर ही रखूँगी और औरो को भी पवित्र बनने में सहयोग दूँगी।
🔰 *आपको क्या अनुभव हुआ ?*
💎 पवित्रता ही सुख और शांति की जननी हैं। इस बात को गहराई से अनुभव किया।
🔰 *आपने किस तरह की मानसिक अवस्था को महसूस किया ?*
💎 बहोत बड़े ते बड़े पापकर्म से मुक्ति की स्थिति को अनुभव किया। बहोत हल्कापन...इस पवित्रता के बल से ही बाबा से सम्बंद घनिष्ट हो जाते है।
🔰 *अब आप स्वयं में क्या परिवर्तन लाना चाहते हैं ?*
💎 कोई अपवित्र संकल्प भी नही करना चाहती हूँ। *अपविता* इस शब्द को भूल मेरी *वृति, स्थिति,कृति,चाल-चलन* में पवित्रता की रॉयल्टी हो।
🔰 *ईश्वरीय परिवार के बाकी सदस्यों को यह पोस्ट क्यों पड़नी चाहिए ?*
💎 खास विनंती माताओं से और जो घर गृहस्ती में रहते है उनसे:- पवित्रता हम आत्माओं का स्वधर्म हैं। सतयुगी बादशाही पवित्रता के बल पर ही मिलेगी। बस हमे सिर्फ अपने संकल्पो को दृढ़ कर हिम्मत करनी है तो बाबा अपने आप मदद के साथ -साथ बल भी देता है। अगर किसी मे राक्षसी वृति या अपवित्रता के संकल्प आते है तो उसके लिए जिम्मेवार हम स्वयं होते हैं। हमने ही पहले उस आत्मा को अपवित्र बनाया है, वो राक्षसी वृति जगाई है। तो आज इस गृह्य बात को गहराई तक समझकर सामने वाली आत्मा को पवित्र बनाने की कोशिश करनी ही चाहिये। सफलता मिलेगी ही।
🔰 *हमें इस पोस्ट में लिखी गयी शिक्षाओं को अपने जीवन में धारण करने के लिए क्या विधि अपनानी चाहिए ?*
💎 सबको पवित्रता की दृष्टि से देखना।
🔰 *इन शिक्षाओं को धारण करने के लिए आप विशेष रूप से क्या योग अभ्यास करेंगे ?*
💎 मैं परम पवित्र आत्मा/ फ़रिश्ता पवित्रता के सागर से पवित्रता की किरणे प्राप्त कर सारे विश्व मे दिन में 5-7 बार फैलाऊंगी। और अगर कोई सम्बंद-संपर्क में कोई ऐसा है तो उसे खास 10 min के लिए कुछ दिन तक सकाश देकर परिवर्तित करने की कोशिश करूँगी।
🔰 *इन शिक्षाओं को धारण करने के लिए आप विशेष रूप से किस स्वमान का अभ्यास करेंगे और किस प्रकार से कर्मयोग करेंगे ?*
💎 ⭐मैं परम पवित्र आत्मा हूँ।
⭐ मैं पवित्रता का फ़रिश्ता हूँ।
⭐ आत्मा बनकर आत्मा को देखने का अभ्यास कर्मणा में करना है। और साक्षी दृष्टा होकर अपवित्रता को पवित्रता में परिवर्तित करना है।
🔰 *अब आप अपने डेली चार्ट में किस एक पॉइंट को add करने जा रहे हैं ?*
💎 हर आत्मा को पवित्रता की दृष्टि से देखना।
🔰 *इन शिक्षाओं की प्रैक्टिकल धारणा का सबूत आपने यज्ञ की किस आत्मा में किस प्रकार से देखी ?*
💎 ⭐जानकी दादी जी जो आज अपने गृहस्थ जीवन को भूल चुकी हैं। उनकी पवित्र दृष्टि ही उनके पवित्रता के बल को बयान करता हैं।
⭐ सिस्टर शिवानी घर -गृहस्ती में रहकर उनके स्पीच आज बेहद की आत्माओ को परिवर्तित कर देते है। ज्ञान का तीर धारनायुक्त पवित्रता के बल से ही लगता है।
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