जानिये सूरजगढ़ निशान की यात्रा के बारे मे ---
सूरजगढ़ निशान विगत 368 सालो से बाबा श्याम के शिखर पर चढ़ता आ रहा है ।इस निशान के बारे में जितना भी बोले कम ही होगा। बड़ी अद्भुत यात्रा होती है खाटू श्याम जी की
फागण सुदी एक्क को सूरजगढ़ दरबार में निशान खड़ा किया जाता है और पूरे पारंपरिक तरीके से फागण सुदी छठ तक आरती ज्योत पूजा होती है । फागण सुदी छठ को ठीक 10.15 पर सुबह को सूरजगढ़ से खाटू धाम के लिए यात्रा सुरु होती है। जो की चिड़ावा सुल्ताना से होते हुवे नंदी , गुढ़ा उदयपुर वाटी(घाटी) बामनवास,मंढा से नवमी को खाटू धाम पहुचती है। रास्ते मे आने वाले नंदी, घाटी मे बाबा के साक्षात होने का प्रमाण मिलता ह और भक्तो की मांगी मुरादे पूरी होती है। खाटू धाम के थोड़ा पहले कोसिया टिब्बे पर नवमी की शाम को निशान रुकता है वहां ज्योत कीर्तन होने के बाद ही सुरजगढ़ धर्मशाला में बारस तक निशान की पूजा व कीर्तन होता है । बारस के दिन 9.25 मिनट पर धर्मशाला से खाटू मंदिर की रवानगी होती है । 11.15 मिनिट पर निशान खाटू मंदिर के शिखर बंध पर स्थापित हो जाता है । उसके बाद बाबा को भोग लगाया जाता है । सूरजगढ़ निशान की एक परम्परा है की निशान चढ़ने के बाद सवामणी भोग करके पूरा सुरजगढ़ परिवार वापसी भी पैदल ही यात्रा करते हुए होली के पहले ही सुरजगढ़ दरबार पहुचते है , 2 दिनों में तकर्बिंन 160 km की दुरी तय करके।
इक अलग ही पहचान रखता है
प्यारा प्यारा सूरजगढ़ निशान ।
आइये इक बार फागण में दर्शन ज़रूर करना सूरजगढ़ निशान के
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