Friday, 8 March 2019

महिला दिवस पर लेख

*_08 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष !_*👇

*_सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने की शुरूआत सन् 1990 में हुई. हालांकि इसे आधिकारिक मान्यता साल 1975 में मिली. यह वही साल था जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक थीम के साथ इसे मनाना शुरु किया !_*

    *_आजाद भारत में आपने कई बार लोगों को महिलाओं के हित और उनके अधिकारों के बारे में बात करते सुना होगा. इतना ही नहीं उनके प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार जताने के लिए महिला दिवस और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस जैसे दिन भी मनाए जाते हैं. बता दें, 08 मार्च को पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाता है. आइए जानते हैं इस दिन को मनाने के पीछे क्या है खास वजह.भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- 'यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे 'भोग की वस्तु' समझकर आदमी 'अपने तरीके' से 'इस्तेमाल' कर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है।_*
*_लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किय जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है। मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है।_*
  *_बच्चों में संस्कार भरने का काम मां के रूप में नारी द्वारा ही किया जाता है। यह तो हम सभी बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है। मां के व्यक्तित्व-कृतित्व का बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का असर पड़ता है।_* 
*_किंतु बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है। सब धन-लिप्सा व अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जो वर्तमान में कम हो गया है!_* 
*_यह सवाल आजकल यक्षप्रश्न की तरह चहुंओर पांव पसारता जा रहा है। इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए।_*
  *_अंत में यही कहना ठीक रहेगा कि हम हर महिला का सम्मान करें। अवहेलना, भ्रूण हत्या और नारी की अहमियत न समझने के परिणामस्वरूप महिलाओं की संख्या, पुरुषों के मुकाबले आधी भी नहीं बची है। इंसान को यह नहीं भूलना चाहिए, कि नारी द्वारा जन्म दिए जाने पर ही वह दुनिया में अस्तित्व बना पाया है और यहां तक पहुंचा है।_*

*_बेटी हैं तो कल हैं !_*
*_बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ_*

*_दुनियां में अपना, अपने माता-पिता, समाज का और देश का नाम रौशन करने वाली मातृशक्ति को नमन !_*

*_08 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !_*
💐🌷🌾🌹🇪🇺🇮🇳

पुरुष को हमेशा एक ना एक स्त्री का साथ चाहिए.
   फिर वो चाहे मन्दिर हो या संसार.

मंदिर में कृष्ण के साथ - -> *राधा*
               राम के साथ --> *सीता*
            शंकर के साथ --> *पार्वती*

       सुबह से रात तक मनुष्य को
            अपने हर काम में
              *एक स्त्री की*
          आवश्यकता होती ही है.

       पढ़ते समय --> *विद्या*
                फिर --> *लक्ष्मी*
       और अंत में -->  *शाँति*
दिन की शुरुआत --> *ऊषा* के साथ,
दिन की समाप्ति --> *संध्या* से होती है.
   किन्तु काम तो --> *अन्नपूर्णा* के
                           लिये ही करना है.

    रात यानी --> *निशा* के समय भी
                         *निंदिया रानी*
     सोने के बाद --> *सपना*

मंत्रोच्चार के लिये --> *गायत्री*
          ग्रंथ पढ़ें तो --> *गीता*

  👇 मंदिर में भगवान के सामने 👇
          *वंदना, पूजा, अर्चना*
            *आरती, आराधना*
                और ये सब भी ...
   केवल --> *श्रद्धा* के साथ.

       अंधेरा हो तो  --> *ज्योति*

       अकेलापन लग रहा हो तो -->
         *प्रेमवती* एवं  *स्नेहा*

          लड़ाई लड़ने जायें तो -->
         *जया* और *विजया*

      बुढ़ापे में --> *करुणा* वो भी
                  --> *ममता* के साथ.

    गुस्सा आ जाए, तब --> *क्षमा*

   इसीलिए तो धन्य है --> स्त्री जाति👸
    जिसके  बगैर पुरुष🤵 अधूरा है.

नारी शक्ति को प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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