Friday, 22 March 2019

चार्ट देना

[23/03, 08:29] Vishal bhaiya: ━○━━○━━○━━

TOTAL MARKS :- 200

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【1】 सुबह उठते ही तुरंत 5 मिनट स्वमान में स्थित होकर बाबा को गुड मॉर्निंग की ?

↜5 marks↝
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【2】 शक्तिशाली अमृत्वेला अच्छी तरह से किया ?

↜15 marks↝
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【3】 सेण्टर में मुरली अच्छी तरह से एकाग्र होकर आत्मिक स्वरुप में स्थित होकर सुनी ?

↜15 marks↝
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【4】 दिन भर में कम से कम 8 बार traffic control अच्छी तरह से किया ?

( आप इस समय 5 स्वरूपों का अभ्यास भी कर सकते हैं )

↜15 marks↝
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【5】 खाना खाते वक़्त और पानी पीते वक़्त बाबा की निरंतर याद अच्छी तरह से बनी रही ?

↜15 marks↝
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【6】 नुमा शाम का योग शक्तिशाली अवस्था में अच्छी तरह से हुआ ?

↜15 marks↝
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【7】 एक घंटा class / manan / अव्यक्त वाणी ?

↜15 marks↝
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【8】 रात्रि को सोने से पहले 15 मिनट बाबा को याद किया ?

↜5 marks↝

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【9】 *रोज़ाना के मुरली चार्ट के भिन्न भिन्न पॉइंट्स पर आधारित*

*variery कर्मयोग / स्वमान / मनन / मनसा सेवा :-*

7  AM TO 10 AM

↜10 marks↝

10  AM TO 1 PM

↜10 marks↝

1  PM TO 4 PM

↜10 marks↝

4 PM TO 6:30 PM

↜10 marks↝

7:30 PM TO 10 PM

↜10 marks↝

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【10】 *इस पॉइंट में मैं डेली नीचे 👇🏻👇🏻👇🏻दिए गए 9 पॉइंट्स में से कोई एक पॉइंट  चुनिए।*

↜50 marks↝

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[23/03, 08:30] Vishal bhaiya: ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
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1. आत्मिक दृष्टि का अभ्यास
     √ दूसरों को आत्मा देखने का अभ्यास किया ?
     √ आत्मा भाई भाई की दृष्टि रही ?
     √ "हर आत्मा अपना पार्ट एक्यूरेट बजा रही है"- यह अभ्यास किया ?
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2. मेरा तो एक शिव बाबा... दूसरा न कोई
     √ किसी भी देहधारी से किसी भी सम्बन्ध की अनुभूति तो नहीं की ?
     √ किसी भी देहधारी के प्रति संकल्पों में क्षणिक मात्र भी आकर्षण तो नहीं हुआ ?
     √ किसी भी देहधारी में बुधी तो नहीं फंसी ?
     √ देह के संबंधो से अनासक्त होकर रहे ?
     √ न्यारे और प्यारे होकर रहे ? 
     √ एक बाबा के साथ सर्व सबंधो की अनुभूति कर सर्व संबंधो की मर्यादाओं को बाबा से निभाया ?
     √ "एक बल एक भरोसा" के आधार पर आगे बड़े ?
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3. शुभ भावना, शुभ कामना
     √ सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना और क्षमाभाव बनाये रखा ?
     √ सर्व आत्माओं की विशेषता को देखा ?
     √ सर्व आत्माओं को दुआएं दी ?
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4. दूसरों को न देखना
     √ परचिन्तन, परदर्शन तो नहीं किया ?
     √ किसी भी आत्मा के अवगुणो को तो नहीं देखा ?
     √ किसी की निंदा ग्लानी न की न सुनी ?
     √ किसी की निंदा व ग्लानि को संकल्पों में भी स्वीकार तो नहीं किया ?
     √ "सुनते हुए भी न सुनना और देखते हुए भी न देखना" - यह अभ्यास किया ?
     √ होलीहंस बनकर रहे ?
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5. निमित भाव
     √ ट्रस्टी बनकर रहे ?
     √ करन-करावनहार की स्मृति बनी रही ?
     √ अपनी सभी विशेषताओं को प्रभु प्रसाद माना ?
     √ मैं और मेरापन तो नहीं आया ?
     √ नाम मान शान का त्याग किया ?
     √ अपनी महिमा को स्वीकार न कर बाबा को अर्पित किया ?
     √ बोल और कर्म में निर्माणता, विनम्रता , निरहंकारिता, शांत स्वभाव , मिठास बनी रही ?
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6. फुल स्टॉप लगाने का अभ्यास
     √ वयर्थ चिंतन तो नहीं चलाया ?
     √ व्यर्थ बातों में बुधी को उलझाया तो नहीं ?
     √ झरमुई झगमुई तो नहीं की ?
     √ बीती को बीती किया ?
     √ ड्रामा की स्मृति से अवस्था अचल अडोल रही ?
     √ बीती को फुल स्टॉप लगाया ?
     √ भविष्य की चिता तो नहीं की ?
     √ सर्व चिंताएं बाबा को दी ?
     √ बेफिक्र बादशाह बनकर रहे ?
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7. बेहद की अवस्था
     √ बेहद की स्थिति में रहे ?
     √ अशरीरी अवस्था बनी रही ?
     √ बेहद के वैरागी बनकर रहे ?
     √ उपराम अवस्था रही ?
     √ देह, देह की दुनिया और देह के पदार्थो के प्रति कोई आकर्षण तो नहीं हुआ ?
     √ साक्षिपन की सीट पर सेट रहे ?
     √ इस कलयुगी दुनिया से अनासक्त रहे ?
     √ "यह पुरानी दुनिया अब विनाश होनी है" - यह स्मृति में रहा ?
     √ खुद को इस धरा पर मेहमान समझकर रहे ?
     √ "अब घर जाना है" - यह स्मृति में रहा ?
     √ प्रवृति में रहते कमल पुष्प समान न्यारे और बाप के प्यारे बनकर रहे ?
     √ कर्म करते हुए भी कर्म के प्रभाव से दूर रहे ?
     √ कर्म बंधन में न आ कर्म सम्बन्ध में आये ?
     √ "मैं आत्मा इस धरा पर विश्व कल्याण के कार्य के लिए अवतरित हुई हूँ" - यही स्मृति बनी रही ?
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8. बाबा से रुहरिहान
     √ बाबा से विशेष सम्बन्ध(माँ, बाप, टीचर, सतगुरु, दोस्त, साजन,बच्चा) जोड़कर हर बात को बाबा से शेयर किया ?
     √ बाबा को सब समाचार सुनाया ?
     √ मन को हुई हर सुखद अनुभूति के लिए बाबा को दिल से थैंक्स कहा ?
     √ मन को हुए किसी भी दुखद अनुभव को बाबा को अर्पित कर खुद को हल्का किया ?
     √ अपना हर कर्म बाबा को अर्पित किया ?
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9. मन और बुधी से निर्बंधन अवस्था का अनुभव
     √ स्वमान और योगबल के अभ्यास से मन और बुधी के बंधन समाप्प्त किये ?
     √ बुधी को सताने वाले नकारत्मक और व्यर्थ संकल्पों रुपी विघ्नों को स्वमान और योगबल से विनाश किया ?
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Friday, 8 March 2019

सूरजगढ़ निशान यात्रा

जानिये सूरजगढ़ निशान की यात्रा के बारे मे ---

सूरजगढ़ निशान विगत 368 सालो से बाबा श्याम के शिखर पर चढ़ता आ रहा है ।इस निशान के बारे में जितना भी बोले कम ही होगा। बड़ी अद्भुत यात्रा होती है खाटू श्याम जी की
फागण सुदी एक्क को सूरजगढ़ दरबार में निशान खड़ा किया जाता है और पूरे पारंपरिक  तरीके से फागण सुदी छठ तक आरती ज्योत पूजा होती है । फागण सुदी छठ को ठीक 10.15 पर सुबह को सूरजगढ़ से खाटू धाम के लिए यात्रा सुरु होती है। जो की चिड़ावा सुल्ताना  से होते हुवे नंदी , गुढ़ा उदयपुर वाटी(घाटी) बामनवास,मंढा से नवमी को खाटू धाम पहुचती है। रास्ते मे आने वाले नंदी, घाटी मे बाबा के साक्षात होने का प्रमाण मिलता ह और भक्तो की मांगी मुरादे पूरी होती है। खाटू धाम के थोड़ा पहले कोसिया टिब्बे पर नवमी की शाम को निशान रुकता है वहां ज्योत कीर्तन होने के बाद  ही सुरजगढ़ धर्मशाला में बारस तक निशान की पूजा व  कीर्तन होता है । बारस के दिन 9.25 मिनट पर धर्मशाला से खाटू मंदिर की रवानगी होती है । 11.15 मिनिट पर निशान खाटू मंदिर के शिखर बंध पर स्थापित हो जाता है । उसके बाद बाबा को भोग लगाया जाता है । सूरजगढ़ निशान की एक परम्परा है की निशान चढ़ने के बाद सवामणी भोग करके पूरा सुरजगढ़ परिवार वापसी भी पैदल ही यात्रा करते हुए होली के पहले ही सुरजगढ़ दरबार पहुचते है , 2 दिनों में तकर्बिंन 160 km की दुरी तय करके।

       इक अलग ही पहचान रखता है
       प्यारा प्यारा सूरजगढ़ निशान ।

आइये इक बार फागण में दर्शन ज़रूर करना सूरजगढ़ निशान के

महिला दिवस पर लेख

*_08 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष !_*👇

*_सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने की शुरूआत सन् 1990 में हुई. हालांकि इसे आधिकारिक मान्यता साल 1975 में मिली. यह वही साल था जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक थीम के साथ इसे मनाना शुरु किया !_*

    *_आजाद भारत में आपने कई बार लोगों को महिलाओं के हित और उनके अधिकारों के बारे में बात करते सुना होगा. इतना ही नहीं उनके प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार जताने के लिए महिला दिवस और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस जैसे दिन भी मनाए जाते हैं. बता दें, 08 मार्च को पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाता है. आइए जानते हैं इस दिन को मनाने के पीछे क्या है खास वजह.भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- 'यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे 'भोग की वस्तु' समझकर आदमी 'अपने तरीके' से 'इस्तेमाल' कर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है।_*
*_लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किय जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है। मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है।_*
  *_बच्चों में संस्कार भरने का काम मां के रूप में नारी द्वारा ही किया जाता है। यह तो हम सभी बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है। मां के व्यक्तित्व-कृतित्व का बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का असर पड़ता है।_* 
*_किंतु बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है। सब धन-लिप्सा व अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जो वर्तमान में कम हो गया है!_* 
*_यह सवाल आजकल यक्षप्रश्न की तरह चहुंओर पांव पसारता जा रहा है। इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए।_*
  *_अंत में यही कहना ठीक रहेगा कि हम हर महिला का सम्मान करें। अवहेलना, भ्रूण हत्या और नारी की अहमियत न समझने के परिणामस्वरूप महिलाओं की संख्या, पुरुषों के मुकाबले आधी भी नहीं बची है। इंसान को यह नहीं भूलना चाहिए, कि नारी द्वारा जन्म दिए जाने पर ही वह दुनिया में अस्तित्व बना पाया है और यहां तक पहुंचा है।_*

*_बेटी हैं तो कल हैं !_*
*_बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ_*

*_दुनियां में अपना, अपने माता-पिता, समाज का और देश का नाम रौशन करने वाली मातृशक्ति को नमन !_*

*_08 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !_*
💐🌷🌾🌹🇪🇺🇮🇳

पुरुष को हमेशा एक ना एक स्त्री का साथ चाहिए.
   फिर वो चाहे मन्दिर हो या संसार.

मंदिर में कृष्ण के साथ - -> *राधा*
               राम के साथ --> *सीता*
            शंकर के साथ --> *पार्वती*

       सुबह से रात तक मनुष्य को
            अपने हर काम में
              *एक स्त्री की*
          आवश्यकता होती ही है.

       पढ़ते समय --> *विद्या*
                फिर --> *लक्ष्मी*
       और अंत में -->  *शाँति*
दिन की शुरुआत --> *ऊषा* के साथ,
दिन की समाप्ति --> *संध्या* से होती है.
   किन्तु काम तो --> *अन्नपूर्णा* के
                           लिये ही करना है.

    रात यानी --> *निशा* के समय भी
                         *निंदिया रानी*
     सोने के बाद --> *सपना*

मंत्रोच्चार के लिये --> *गायत्री*
          ग्रंथ पढ़ें तो --> *गीता*

  👇 मंदिर में भगवान के सामने 👇
          *वंदना, पूजा, अर्चना*
            *आरती, आराधना*
                और ये सब भी ...
   केवल --> *श्रद्धा* के साथ.

       अंधेरा हो तो  --> *ज्योति*

       अकेलापन लग रहा हो तो -->
         *प्रेमवती* एवं  *स्नेहा*

          लड़ाई लड़ने जायें तो -->
         *जया* और *विजया*

      बुढ़ापे में --> *करुणा* वो भी
                  --> *ममता* के साथ.

    गुस्सा आ जाए, तब --> *क्षमा*

   इसीलिए तो धन्य है --> स्त्री जाति👸
    जिसके  बगैर पुरुष🤵 अधूरा है.

नारी शक्ति को प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻