Sunday, 17 December 2017

मनसा सेवा सीरीज सचिन भाई जी

*Roll No-24*

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1➢➢  *"सेंचुरी ऑफ सर्विसेज"*  * पुस्तक किस विषय मे है व इसके *लेखक कौन है?*

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➳ _ ➳ *इसमे दादी जानकी जी* *की तुलना विश्व के विख्यात लोगों से की गई है जिन्होंने बीमार होते हुवे भी सफलता की बुलंदियों को छुआ।*
यह क्लास  " *रोल ऑफ इलनेस*" चैप्टर से उद्धृत है।

*लेखिका -लिथ हॉकिंसोंन*

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2➢➢ *दादी जी की तुलना किन महान विभूतियो से की गई है?*

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➳ _ ➳ १. *स्टीफन हॉकिंन*
२. *फ्लोरेंस नाइटिंगल*
३. *एलिज़ाबेथ डेरिक ब्राउनिंग*
४. *वर्जिनिया वोल्फ*
५. *नेल्सन मंडेला*
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3➢➢ *अव्यक्त बाप दादा ने दादी जी की प्रशंसा में क्या कहा है?*

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➳ _ ➳ १. *त्याग, तपस्या,तेजस्विता से भरपूर*
२. *बाप समान*
३. *डबल सेवाधारी*
४. *सफलता का प्रत्यक्ष सबूत*
५. *प्रकृतिजीत*
६. बाप के साथ चक्कर लगाने वाली *चक्रवर्ती राजा*
७. *याद का स्वरूप* बन सेवा करने वाली

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4➢➢  *स्टीफन हॉकिंन व दादी जी में समानता*

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➳ _ ➳  १ दोनों ने *लंबी बीमारी* होने पर भी *विश्व की अद्भुत सेवा की है।*

२. दोनो को ही अपने *कार्य से विशेष प्रेम* रहा है।

३. दादी जी  कहती है - *बीमारी से उनको एकांत का वरदान मिला,जो उनकी सफलता की सीढ़ी बना।*

स्टीफन हॉकिंन को *मोटर न्यूरॉन डिसीज़* है, जिसमे शरीर के अंग धीरे -2काम करना बंद कर देते है और फिर *मृत्यु हो जाती है* लेकिन वो *73  साल* के है और जिंदा है।
*भौतिकी* में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।

दादी जी *बचपन से ही बीमार* होती रही है।लम्बी लिस्ट है बिमारिओं की ,फिर भी *अध्यात्म में उन्होंने परचम लहराया है ।*

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5➢➢  *फ्लोरेंस नाइटिंगल व दादी जी में समानता*

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१. दोनो ने *नर्स* का कार्य किया।*

२. दोनो को ही *ऊपर से सेवा के लिए कॉल* आया।

३. अपना *जीवन सेवा के लिए समर्पित* किया।

४. दोनो ने ही अपनी *बीमारी के समय का सर्वोत्तम सदुपयोग कर विश्व की सेवा की।*

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➢➢  *एलिज़ाबेथ डायरेक्ट ब्राउनिंग व दादी जी*

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➳ _ ➳ १. दोनो के *जीवन मे आये व्यक्ति ने उनका जीवन बदल दिया।*

२. दादी जी का *शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा ने।*
एलिज़ाबेथ का उनके पति ने।

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➢➢ *उपरोक्त तीनो महिलाओं में क्या समानता है?*

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➳ _ ➳ १. *रिमारकबली टैलेंटेड*

२. जीवन का सिर्फ *एक ही लक्ष्य।*

३. तीनो ने ही अपनी *बीमारी को लक्ष्य प्राप्त करने में प्रयोग किया।*

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➢➢  *क्या सीखने को मिला?*

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➳ _ ➳  बीमारी हमारे *पिछले जन्मों का कर्म फल है।* इसमें हताश होने की जगह अपने उत्साह को बढ़ाते हुवे  *बीमारी को एक सुअवसर समझना चाहिए ,स्वयं की उन्नति व दुसरो की सेवा का।*

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➢➢  *बी.के.के लिए एक और संदेश क्या है?*

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➳ _ ➳  *ब्रह्मा बाबा योग के साथ शारीरिक व्यायाम पर भी ध्यान दिलाते थे।* इसकी आजकल बी.के में कमी है ।इसलिए उनको  बीमारी भी  हो रही है। *
सो  *attention please on physical yoga also* .

[12/15, 1:40 PM] Vishal bhaiya: ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

➢➢  *आत्मा का अनुभव क्या है?*

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➳ _ ➳  *संसार की सभी बातें छोटी* हो जाती है।

( _यह लाइन पढ़ते पढ़ते स्वयं को 10 सेकंड के लिए *इस दुनिया से उपराम अनुभव करें* )"_

➳ _ ➳  *देह का भान नही।*

( _यह लाइन पढ़ते पढ़ते स्वयं को 10 सेकंड के लिए *इस देह भान से मुक्त अशरीरी अनुभव करें* )_

➳ _ ➳  *समस्या, विघ्न, परिस्थिति सब खेल* लगता है।

( _यह लाइन पढ़ते पढ़ते स्वयं को 10 सेकंड के लिए *अपने जीवन की हर परिस्थिति को साक्षी होकर देखें और उन्हें देखते हुए अपने चेहरे पर इक Smile लेकर आएं* )_

➳ _ ➳  *केवल सत चित आनंद आत्मा का अनुभव।*

( _यह लाइन पढ़ते पढ़ते स्वयं को 10 सेकंड के लिए *परमात्म प्रेम में डूबा हुआ अनुभव करें* )_

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_*40 सेकंड की यह ड्रिल आपको अत्यंत शक्तिशाली अवस्था का अनुभव करवाएगी*_

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[12/15, 1:40 PM] Vishal bhaiya: ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

➢➢  *ब्राह्मणों के रहे हुए (अधूरे) 10 कर्तव्य कौन से हैं जिन्हें याद करना भी एक सकाश है?*

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_*( 10-10 सेकंड के लिए निमनलिखित ड्रिल करें )*_

➳ _ ➳  *वृत्ति से वृत्ति* परिवर्तन करना।

_*( विश्व की सर्व आत्माओं को इमर्ज कर उन्हें साकाश दें )*_

➳ _ ➳  *प्रकृति को सकाश* देना।

_*( प्रकृति के पांचो तत्वों को साकाश दें )*_

➳ _ ➳  *भक्तों को साक्षात्कार* कराना।

_*( स्वयं को इष्ट देव के स्वरुप में स्थित करें )*_

➳ _ ➳  *सारे ब्राह्मण परिवार में तपस्या का वातावरण* फैलाना

_*( पूरे ब्राह्मण परिवार को इमर्ज करें )*_

➳ _ ➳  *आत्माओं का आह्वान* करना, रूह रिहान करना, पुकारना

_*( जिन आत्माओं ने अभी तक बाबा को नहीं पहचाना, उनका आह्वान करें)*_

➳ _ ➳  *आत्माओं में ईश्वरीय प्रेम* भर देना।

_*( आत्माओं की तरफ प्रेम की तरंगे प्रावहित करें)*_

➳ _ ➳  *आत्मा का परमात्मा से मिलन* कराना।

_*( डायमंड हॉल का प्रभु मिलन का सीन इमर्ज करें )*_

➳ _ ➳  *निर्बल, शक्तिहीन, कमजोर आत्माओं में बल* भरना।

_*( ग्लोब पर विश्व की सर्व आत्माओं की तरफ शक्ति की किरनें प्रवाहित करें)*_

➳ _ ➳  *रोगी आत्माओं को यहीं बैठे निरोग करना।*

_*( सभी हॉस्पिटल को इमर्ज करें )*_

➳ _ ➳  *अशांत, दुखी आत्माओं को शांत करना, सुखी करना।*

_*( पूरे विश्व में शांति की किरनें फैलाएं )*_
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_*100 सेकंड की यह ड्रिल आपको अत्यंत शक्तिशाली अवस्था का अनुभव करवाएगी*_

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*मनसा सेवा... 37*

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➢➢ *दृढ़ता की तपस्या* के लिये स्वयं से क्या रुहरिहान करनी है?

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➳ _ ➳ *हर संकल्प को अमर अविनाशी* बनाने के लिये

➳ _ ➳ *रियलाईज़ेशन* करने के लिये

➳ _ ➳ *रीइनकारनेट* करने के लिये

➳ _ ➳ *स्थिति को सदाकाल मजबूत* बनाने के लिये

➳ _ ➳ *दृढ़ता के अभ्यास* से रुहरिहान करनी है।

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➢➢ *शुद्ध संकल्पों की शक्ति* से क्या बढ़ाना है?

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➳ _ ➳ *जमा का खाता* बढ़ाना है

➳ _ ➳ *अन्तर्मुखी* बनना है

➳ _ ➳ *व्यर्थ संकल्पों को समाप्त कर दूसरों के प्रति शुभ भावना... शुभ कामना रखनी है*

➳ _ ➳ अपने शुद्ध संकल्पों से *दूसरों के व्यर्थ संकल्पों को समाप्त* करना है

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➢➢ *मुरली क्या है और उसकी हर पॉइंट* को क्या करना है?

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➳ _ ➳ *मुरली... हम ब्राह्मणों का खजाना* है

➳ _ ➳ मुरली को सुनना अर्थात *विचार सागर मन्थन करना, अनुभव करना, धारण करना,कार्य में लगाना*

➳ _ ➳ *शक्ति के रूप में जमा करना*

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➢➢  *शुद्ध संकल्प* कहाँ से प्राप्त कर सकते हैं?

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➳ _ ➳ *स्थूल चीज़े... जैसे साकार मुरलिया... अव्यक्त मुरलिया... किताबें, साहित्य, क्लासेज, मैग्जीन्स(ज्ञानामृत, प्यूरिटी)*

➳ _ ➳ *अव्यक्त मुरली* को समझने के लिये गहन चिंतन की आवश्यकता है

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➢➢ *मुरली को कैसे और कितनी बार पढ़ना है?*

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➳ _ ➳ मुरली को *20बार* पढ़ना है

➳ _ ➳ मुरली को एक बार पढ़ कर छोड़ दो... फिर इंटरवल, फिर दूसरी बार, फिर थोड़ी देर बाद, ऐसे करते करते 10 बार पढ़ना है

➳ _ ➳ रीवीज़न करने के लिये...
पहली बार *बाबा के कमरे में*
दूसरी बार *प्रकृति के सानिध्य में*
तीसरी बार *अपने कमरे में*
चौथी बार *चलते फिरते*

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3⃣4⃣

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➢ *स्थापना* में जो भी *कार्य* हुए उसमें *सफलता* कैसे मिली ?

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➳ _ ➳ *मनसा सेवा से*

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➢➢ *मनसा सेवा* के लिए कैसी *स्थिति* चाहिए ?

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➳ _ ➳ *लाइट हाउस, माईट हाउस* की स्थिति

➳ _ ➳ लाइट भी हो, *माइक* भी हो

➳ _ ➳ *माईट* और *माइक* दोनों *इकट्ठे* हों

➳ _ ➳ *माइक के आगे माईट हो*

➳ _ ➳ *मुख* ही *माइक* हो

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➢➢ *हम* दुनिया के *हीरो एक्टर्स* हैं तो हमें *किन बातों* पर *अटेंशन* देना चाहिए ?

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➳ _ ➳ 1. *अंगिका* - अंगों की गतिविधि कैसी है *(Physical movements)*

➳ _ ➳ 2. *वाचिका* - कैसे बोल रहे हैं *(Speech)*

➳ _ ➳ 3. *अहर्य* - परिधान, पहनाईस कैसी है *(Dress)*

➳ _ ➳ 4. *सात्विक* - मानसिक स्थिति कैसी है *(Mental Condition)*

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➢➢ *मनसा सेवा* को कहाँ-कहाँ *यूज़* करना है ?

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➳ _ ➳  *चलते-फिरते*, प्रकृति के लिए, *प्राकृतिक आपदा* के समय, *बीमारी* के समय, *दुःखी*, उदास, *मानसिक रोगी के प्रति*

➳ _ ➳ *सफलता* के लिए, *विरोधी आत्माओं* के प्रति, *कड़क संस्कार वालों* के प्रति, *भटकती आत्माओं* के लिए

➳ _ ➳ *आर्मी*, नेवी, सी.आर.पी.एफ, *एयरफोर्स*, किसानों के लिए, *भिखारी*, गरीब, अपाहिज, *विकलांगों के लिए*

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_( यहां आपको अपना Roll No टाइप करना है )_
*31*
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➢➢  संमेलन का अर्थ क्या है ?

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➳ _ ➳  *सममिलन ।*
➳ _ ➳  *जो बाप समान , अपने समान बनाये आने वाले ये नही समझे मदत करने आये ये स्थान देने का है।*
➳ _ ➳  *रिगार्ड देना ही है ।*
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➢➢ मरुभूमि क्या है ?

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➳ _ ➳  *ये संसार मरुभूमि है। यहां लेने का स्थान देने का नही।*
➳ _ ➳   *आने वाले समझे मरुभूमि में ज्ञान की रसवंती लेने आये है । हम जीते है संसार मरुभूमि है।*

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➢➢  हमारा लक्ष्य क्या है ?

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➳ _ ➳  *कुछ ना कुछ देकर भेजना है ,  रिगार्ड देना एक बाप का बनाना है। चारों और लाईट देना तो सफलता हुई पड़ी है।*

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➢➢  हमारी दृष्टि कैसी हो ?

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➳ _ ➳  *दृष्टि से रहम भाव दिखे, दृष्टि  आत्मा को दे , दृष्टि से सृष्टि बदलती है दृष्टि में सौंदर्य है तो वही दिखेगा।*
➳ _ ➳   *दृष्टि से  जो भाव है वही दिखे दृष्टि में प्रेम है तो वही दिखे।, दृष्टि में जो वही दिखेगा। नफरत है निगेटिव्हीटी है तो वही दिखेगा।*
➳ _ ➳  *दृष्टि में प्रेम है तो प्रेम मिलेगा।*
➳ _ ➳  *जो भाव भावना है वही दिखे।*
*दृष्टि से अध्यात्म शांति दि जा सकती है। दृष्टि एक वायरलेस कनेक्शन है।*

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➢➢ दृष्टि का महत्व क्या है , क्या दिया जा सकता है ? 3rd eye क्या है ?

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➳ _ ➳ *दृष्टि से इशारा दिया जा सकता है। दृष्टि से रहम भाव दे सकते है, दृष्टि से सारे संसार को  शक्तियां दि जा सकती है। दृष्टिपात कर सकते है।*
➳ _ ➳  *जैसे ब्रह्माबाबा ने दादी को सारी शक्तियां ट्रान्सफर कर दि।*
➳ _ ➳  *तीसरी आँख से जो अदृश्य है वह देख सकते है जिसका खुलेगा उसे सबकुछ दिखेगा जो सामान्य आँख से नही दिखता , वे अपनी मृत्यु को देख सकते है 6 मास पहले आत्मा को निकलते देख सकते है। तीसरा नेत्र सूक्ष्म शरीर में है।*

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➢➢  तीसरा नेत्र कब खुलेगा ?

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➳ _ ➳  *जब अंदर बाहर स्थूल नेत्र से ऊर्जा बाहर न जाये।* *वो अंदर ही रहे*
*ऊर्जा अंदर जाय  ऐसा करने के लिए साधना  तपस्या हो बाहर ऊर्जा फ्लो होना बन्द , दूर का  आवाज सुनने का प्रयास करना एक भी आवाज छुट ना पाये। ये एकाग्रता का अभ्यास है ये अभ्यास बढ़ता है एक बल से।*

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1⃣8⃣
*MANSA SEWA*
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➢➢ सारा दिन कौन कौन सी सेवा मे बिजी रहना है ?

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➳ _ ➳ *मनसा,वाचा,कर्मणा,तन,मन,धन,स्व सेवा,यज्ञ सेवा,बिश्व सेवा,साधनो द्वारा सेवा।ऐसे सारा दिन कोई न कोई प्रकार की सेवा में बिज़ी रहना है* ।

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➢➢ सेवा के लिए निमित्त बन करके सेवाधरी बन करके सेवा का चान्स कैसे लेना है ?

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➳ _ ➳ *जो निमित्त बने हुए सेवाधारी हैं उनसे संपर्क रखते हुऐ आगे बढ़ते चलो तो सफलता मिलती जाएगी* ।

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➢➢स्व सेवा कैसे करनी है ?

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➳ _ ➳ *आत्म चिंतन करके,मनन, अध्यन करके,शरीर की देखभाल ऐसे स्व सेवा करनी है*।

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➢➢ यज्ञ सेवा में क्या करना है ?

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➳ _ ➳ *स्थूल सेवा,टोली बनाना,भोजन बनाना,भोग लगाना,चित्र बनाना,धन से सेवा,लेख लिखना,ट्रांसपोर्ट सेवा,,कीर्तिमान स्थापन करना.....ऐसे कई प्रकार की यज्ञ सेवा मे बिजी रहना है*।

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➢➢मनसा सेवा का भी बहुत चांस है कैसे?

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➳ _ ➳ *एक स्थान पर बैठ कर पुरे विश्व की सेवा कर सकते हो अमृतवेला विश्व को सकाश देकर,दृष्टि देकर,प्रकृती आपदा के समय सकाश देना ऐसे कई प्रकार की मानस सेवा में खुद को बीजी रखना है*।

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➢➢विश्व सेवा और साधनो से सेवा कैसे कर सकते हो ?

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➳ _ ➳ *सम्बन्ध सम्पर्क में सेवा,ज्ञान चर्चा करना,जो ज्ञान छोड़ कर चल गये हैं उनको ज्ञान मे वापिस लाना,पर्चे,C D,किताबे बितरित करना,पब्लिक प्रोग्राम,कल्चर प्रोग्राम, स्नेह मिलन, रैली,प्रकृति आपदा के समय सेवा करना,ड्रेस,बेज से सेवा,दृष्टि हीन, बोल नही सकते सुन नही सकते उनको ज्ञान में लाना और स्थूल साधनो से प्रदर्शनी  से मिडिया,म्यूजियम,प्रिंटिंग,बेनर,बोर्ड,ऐसे कई प्रकार से हम विश्व की सेवा  कर सकते हैं* ।

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26

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➢➢ *सदा बाप की हूँ.. बेहद की हूँ* इस स्मृति में रह सर्व आत्माओं के प्रति क्या करते चलो ?

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➳ _ ➳ *सदा बाप की हूँ.. बेहद की हूँ* इस स्मृति में रह सर्व आत्माओं के प्रति शुभ संकल्प द्वारा सेवा करते चलो।

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➢➢ *सेवा का फल* कब तक नहीं निकलेगा ?

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➳ _ ➳ मुख द्वारा भल समझाओ  लेकिन जब तक *शुभ भावना का बल* उस आत्मा को नहीं देंगे तब तक फल नहीं निकलेगा।

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➢➢ *ज्ञान का तीर* कब लगेगा ?

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➳ _ ➳ *मनसा वाचा* दोनों इक्कठी सेवा हो... सिर्फ संदेश देने तक नहीं हो... *मनसा सेवा साथ साथ हो तो तीर लग जायेगा।*

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➢➢ *शुभ भावना* किस किस के प्रति रखे ?
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➳ _ ➳ *स्वयं के प्रति*

➳ _ ➳ *संसार की सर्व आत्माओं के प्रति*

➳ _ ➳ *ब्राह्मण आत्माओं के प्रति*

➳ _ ➳ *प्रकृति के प्रति*

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➢➢ *शुभ भावना* क्यो रखे ?

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➳ _ ➳ *बाप का फरमान* हैं।

➳ _ ➳ हम *पूर्वज आत्मा* हैं।

➳ _ ➳ *बाप समान* बनना हैं।

➳ _ ➳ *ॐ शांति के अर्थ स्वरूप में टिक जाये.. समा जाये।*

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➢➢ *स्वयं के प्रति* क्या शुभ भावना रखें ?

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➳ _ ➳ अमृतवेले सबसे पहला संकल्प : *"मैं परमात्मा आज्ञाकारी बच्चा हूँ।"*

➳ _ ➳ समय, श्वाश, संकल्प तीनो खजाने व्यर्थ न जाये क्योंकि *संगमयुग छोटा सा युग... जमा करने का युग हैं।*

➳ _ ➳ स्व-स्थिति सदा श्रेष्ठ हो। *स्वयं पढ़ना हैं और सब को पढ़ाना हैं।*

➳ _ ➳ *"आत्मा जो सतोप्रधान थी"* - यह *ज्ञान की कस्तूरी हैं...* इसको सब जगह फैलानी हैं।

➳ _ ➳ *स्वयं स्वयं की चेकिंग* करनी हैं।

➳ _ ➳ *मैं मास्टर सर्वशक्तिमान* हूँ यह संकल्प रूपी बीज से तमोप्रधान वातावरण में कमल समान रहना हैं।
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➢➢ *संसार की सर्व आत्माओं* के प्रति क्या शुभ भावना रखें ?

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➳ _ ➳ जो *दुष्ट हैं उनका जीवन का अंधकार नष्ट हो।*

➳ _ ➳ सारे विश्व में *स्वधर्म का... सुख, शांति और पवित्रता का सूर्य उदय हो।*

➳ _ ➳ जिसने जो जो *शुभ सोचा हैं...* उसको वह मिल जाये।

➳ _ ➳ संसार की *भक्त आत्माओं को उनकी भक्त्ति का फल* मिल जाये।

➳ _ ➳ *स्वयं के स्वरूप* की पहचान हो जाये।

➳ _ ➳ *ईश्वर की पहचान* हो जाये।

➳ _ ➳ *सारा संसार ही मेरा अपना हैं यह भाव जागृत* हो जाये।

➳ _ ➳ *पवित्रता का जन्म सबके मन में* हो जाये।

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➢➢ *ब्राह्मण आत्माओं* के प्रति क्या शुभ भावना रखें ?

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➳ _ ➳ *व्यर्थ से मुक्त्त... तीव्र पुरुषार्थी* बन जाये।

➳ _ ➳ *बाप को प्रत्यक्ष* करना ही हैं।

➳ _ ➳ एक संकल्प *"अब घर जाना हैं"* में स्थित हो जाये।

➳ _ ➳ *महेनत से मुक्त्त महोबत* में लीन हो जाये।

➳ _ ➳ *एक में ही सभी रसों की अनुभूति* हो।

➳ _ ➳ *मुरली* के प्रति आकर्षण बढ़ जाये।

➳ _ ➳ *नाम... मान... शान* से मुक्त्त हो जाये।

➳ _ ➳ *ईश्वरीय मर्यादाओ* में चले।

➳ _ ➳ *बाप समान*, प्रकृतिजीत, मायाजीत, स्वमानधारी बन जाये।

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➢➢ *प्रकृति* के प्रति क्या शुभ भावना रखें ?

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➳ _ ➳ *प्रकृति आज्ञाकारी* बन जाये।

➳ _ ➳ *प्रकृति सतोप्रधान* बन जाये।

➳ _ ➳ सारा विश्व *स्वधर्म का सूर्य* देखे।

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➢➢ कौनसी *विधि द्वारा शुभ भावना प्रत्यक्ष* होगी ?

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➳ _ ➳ संकल्प को *मन की नजरों से प्रत्यक्ष* होता हुआ देखे।

➳ _ ➳ *निरन्तर शुभ भावना रखना ही मनसा सेवा करना हैं।*

➳ _ ➳ *संकल्प... बोल... कर्म एक समान* बन जाये।

2⃣3⃣

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➢➢  *अगर हम प्राप्त शक्तियों को कर्म में युज करते है तो इसकी रिजल्ट क्या होगी ?*

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➳ _ ➳  ये कर्म ही संसार की आत्माओं के सामने हमारी पहचान करायेगा ।  बाप की पहचान करायेगा । ये कर्म बाप को प्रत्यक्ष करेगा । कर्म सहज है संसार की आत्माएं सुक्ष्म को टच करने की शक्ति उनमें अभी नही है इसलिए स्थुल कर्म ही उनकी बुद्धि को टच करेगा, कर्म शक्ति द्वारा संकल्प शक्ति को जानते जायेंगे । कर्म से फिर संकल्प तक पहुचेंगे । कर्म द्वारा शक्ति स्वरूप का साक्षात्कार करेंगे ।

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➢➢ *कौन से कर्म हमारी बुद्धि को ऊपर से नीचे ले आते है*

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➳ _ ➳  साधारण कर्म, कमजोर कर्म हमारी बुद्धि को ऊपर से नीचे ले आते है । जैसे स्थुल धरणी की आकर्षण ऊपर से नीचे ले आती है । ऐसे कर्म ना हो इसके लिए चित्र को चरित्र में लाओं ।

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➢➢ *श्रेष्ठ कर्म किसे कहेंगे या कौन सी अवस्था में किये कर्मों को श्रेष्ठ कर्म कहाँ जायेगा ।*

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➳ _ ➳  श्रीमत के आधार पर जो कर्म होगा वो श्रेष्ठ होगा । परमात्म याद में किये सभी कर्म श्रेष्ठ कर्म है । अनास्कत वृति साक्षी भाव से किये कर्म श्रेष्ठ कर्म है निमित भाव, निष्काम भाव, कर्तापन की भावना से मुक्त, त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित होकर किये कर्म श्रेष्ठ कर्म है ।

➳ _ ➳  नम्रता से किये कर्म श्रेष्ठ कर्म है । गुण दान करना, प्रेरणा दायी कर्म करना, रॉयल कर्म करना श्रेष्ठ कर्म करना है ।

➳ _ ➳  शुभावनाओं समपन्न कर्म करना, देही अभिमानी अवस्था में स्थित होकर कर्म करना, स्वमान में स्थित होकर कर्म करना, जिससे आत्म उन्नति हो ऐसे कर्म करना, सेवा भाव से कर्म करना श्रेष्ठ कर्म है ।

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➢➢ *जो कुछ भी बुरा या नेगेटिव हमें किसी से मिल रहा है उस समय हमारा आन्तरिक भाव परिस्थितियों या व्यक्ति के प्रति कैसा होना चाहिए ?*

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➳ _ ➳  हमें किसी से कुछ भी बिना बजह नहीं मिल रहा है जो भी मिल रहा है हमारे द्वारा किये कर्मों का ही प्रतिफल है जो कुछ मेरे पास आ रहा है मेरे ही कर्मों का फल है । जो भी सामने आ रहा है जिससे जो मिल रहा हमने ही उनको दिया है । हमारा आन्तरिक भाव मौन का हो समग्र मौन ।

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➢➢ *कौन से कर्म हमें बिल्कुल नहीं करने है ?*

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➳ _ ➳  ठगने वाले कर्म ना हो । और जिस कर्म को करने से नये कर्म बन्धन बने ऐसे कर्म नहीं करने है ।

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*मनसा सेवा* - *Roll No : - 12*

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➢➢  *सदा एवरेडी की निशानियाँ क्या हैं?* 

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➳ _ ➳  एवरेडी माना *ओडर मिला चल पडा।*

➳ _ ➳  *हर प्रकार की सेवा के लिए तैयार* - आडर मिला हाँजी।

➳ _ ➳  *क्या करे कैसा करे ऐसे  संकल्प आया तो एवरेडी नहीं।*

➳ _ ➳  एवरेडी अर्थात आलरौण्डर। *मनसा सेवा, वाचा सेवा,  कर्मणा सेवा तीनों में नंबर वन।*

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➢➢  *अगर मनसा सेवा में सफलता होगी तो किस किस बातों में चढती कला होंगें?*
 
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➳ _ ➳  चढती कला *5 बातों में* होंगें  -
    - *quality में* चढती कला,
    - *quantity में* चढती कला,
    - *वायुमण्डल में* भी चढती कला,
    - *स्वयं* को भी चढती कला,
    - *साथी* को भी चढती कला

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➢➢ एवरेडी किन किन बातों में? 

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➳ _ ➳  *सेवा* में एवरेडि - किसी भी सेवा आ जाये वो करने के लिए हम तय्यार हैं।

➳ _ ➳  *परिस्थिति* में एवरेडि - किसी भी परिस्थिति आये तो सामना करने के लिए एवरेडि। अचानक परिवर्तन के लिए एवरेडि।

➳ _ ➳  *हिसाबकिताब* चुक्तू करने के लिए एवरेडि - शरीर के बीमार के लिए एवरेडि, आसपास वालों कि मित्रसंबन्धियों कि बीमारी व वियोग के लिए एवरेडि।

➳ _ ➳  *धनसंपत्ति* में एवरेडि - आज है कल कुछ भी नहीं ऐसी अवस्था होंगें।

➳ _ ➳  *प्राकृतिक आपदों में* एवरेडि।

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➢➢  *मनसा सेवा में सफलता हुई तो हमें क्या अनुभव होंगें?*

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➳ _ ➳  अगर मनसा सेवा में सफलता होगी तो *स्वयं और सेवाकेन्द्र निर्विघ्न और चढती कला में होंगा।*

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➢➢ *अब हमारा कार्य क्या है?*

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➳ _ ➳   बाबा कहते है आप का कार्य है *वायुयण्डल को शक्तिशाली बनना।* *अपने स्थान* ( जहां रहते हो वहां) का *शहर* का *भारत* का *विश्व* का वायुयण्डल पाँवर फुल बनना।

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➢➢  *तीव्रपुरुषार्थी की विशेषताएं क्या हैं?*

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➳ _ ➳   तीव्रपुरुषार्थी की विशेषतायें है *एवरेडी* और *आलरौडर।* हर प्रकार कि सेवा के लिए तय्यार।

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2⃣7⃣ *MANSA SEVA*

>> *वास्तविक सन्यास क्या है?*

>> पूर्णरूप से मेरापन से मुक्त होना ही वास्तविक सन्यास है। *बेहद का सन्यास रखो और विश्व कल्याण हेतु हर कार्य करो तब कहेंगें वास्तविक सन्यासी।*

*( बाबा को अपने सामने इमर्ज कर बाबा को कहें :- बाबा ये घर भी तेरा, इस घर की हर ज़िम्मेवारी भी तेरी, इस घर के हर सदस्य को सही मार्ग पर चलाने की ज़िम्मेवारी भी तेरी, ये तन भी तेरा, ये मन भी तेरा , ये धन भी तेरा... बस सिर्फ एक तू मेरा है )*

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>> *सकाश कैसे दें?*

>> *किसी के प्रति अगर घृणा है या किसी बात को माफ नहीं किया तो उस तक सकाश नहीं जाएगी।* इसलिए हर आत्मा के लिए शुभकामना शुभभावना रखो तो ही real sense में मनसा सेवा कर पाएंगे।

*( जिन आत्माओं ने आपको दुःख पहुंचाया हो, उन्हें इमर्ज कर साकाश दें और उन्हें क्षमादान दें... क्षमा महावीरों का आभूषण है । )*

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>> *समर्पण भाव:-*

>> जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये। *बाबा जिस भी हाल में रखे हर पल तेरा शुक्रिया बाबा।*

*( बाबा को अपने सामने इमर्ज कर बाबा से वायदा कीजिये :- बाबा आप जहां रखोगे, जैसे रखोगे वैसे रखूंगी, जो खिलाओगे जैसे चलाओगे वैसे चलूँगी और हर हाल में खुश रहूंगी )*

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>> *लौकिक में सन्यास किसको कहेंगे?*

*जो आत्मा वृत्ति में रहते हुए भी बन्धन मुक्त है अर्थात बन्धनों में नही फसती।* सोने अर्थात लोहे दोनों प्रकार की बेड़ियों से  मुक्त होना ही लौकिक सन्यास है।

*( अपने हर कर्म बंधन को कर्म बंधन की तरह न देखते हुए सेवा के सम्बन्ध में देखना है । अपने हर लौकिक सदस्य को इमर्ज कर यह संकल्प करना है की यह भी मेरा आत्मा भाई है, यह भी मेरा आत्मा भाई है, यह भी मेरा आत्मा भाई है )*

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>> *साक्षीदृष्टा बनना क्या है?*

>> *चाहे कोई फूलमाला डाले चाहे घोर अपमान करे मन प्रतिक्रिया से विचलित न हो साक्षी बन देखते रहो।* हे आत्मा तुम्हें तुम ही मुक्त कर सकती हो परमात्म सत्य को जानकर। *ड्रामा चल रहा है ये स्मृति रहे इसको कहेंगे साक्षीदृष्टा।*

*( सूक्ष्म वतन में स्वयं को स्थित कर अपने जीवन की हर परिस्थिति को detach होकर देखिये ... और आपके सम्बन्ध संपर्क में आने वाली हर आत्मा को साक्षी होकर उनका पार्ट बजाते हुए देखिये )*

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