Sunday, 17 December 2017

मनसा सेवा सीरीज सचिन भाई जी

15

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➢➢ ब्राह्मणों का असली पता कहाँ की है?

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➳ _ ➳ 1. ब्राह्मणों का असली पता मधुबन ही है।
2. हर एक ब्राह्मण मधुबन निवासी  है।
3. घर गृहस्थ सेवा केंद्र है।

*( स्वयं को इन संकल्पों में स्थित कीजिये :- मैं मधुबन निवासी हूँ । बाबा ने मुझे यहाँ इस परिवार की सभी सदस्यों की सेवाओं के लिए निमित बनाकर भेजा है । यह घर भी बाबा का सेण्टर है । और इस घर के सभी सदस्य बाबा के VIP STUDENT हैं । बाबा से शक्तियां लेकर घर के सभी सदस्यों की और प्रवाहित करें )*

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➢➢ मधुबन की कौन सी चीजें स्मृति और कर्त्तव्य का बोध कराता है?

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➳ _ ➳ 1. मधुबन का हर कोना।
2. चारों धाम, डाइनिंग हॉल, भवन, आंगन।
3. स्लोगन्स, पुरुषार्थ के लिये हर जगह लिखी बातें।
4. लक्ष्य के प्रति जागरूक करते हैं।

*( स्वयं के फरिश्ता स्वरुप को मधुबन में इमर्ज करें और बापदादा की ऊँगली पकड़कर मधुबन के कोने कोने का चक्कर लगाएं... मधुबन के कोने कोने को निहारें... और खो जाएँ अपने प्यारे मधुबन की यादों में )*

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➢➢ मधुबन वाले कौन से भूमि पर हैं?

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➳ _ ➳ बापदादा के कर्मभूमि, चरित्रभूमि पर मधुबन वाले है।

*( मन ही मन चिंतन करें की मुझ आत्मा के क्या क्या कर्तव्य हैं ?)*

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➢➢ BK, Non BK मधुबन शिविर से वापस जाते लौकिक घर को अलौकिक में कैसे परिवर्तन करे?

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➳ _ ➳ 1. लौकिक घर को अलौकिक में परिवर्तित करने के लिये हर कमरे का नाम रखे।
2. जैसे- सुखधाम, शांतिवन, योगी भवन, ज्ञान सरोवर। बाबा का कमरा-योग भवन।

*( मन ही मन अपने लौकिक घर के हर कमरे का एक अलौकिक नाम रखिये... और बाबा से पवित्रता की शक्तियों की किरणे लेकर अपने घर के हर कमरे के वातावरण को चार्ज कर दीजिये ... )*

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_30_

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➢➢ कौनसी बातों में परिवर्तन लाना है?

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➳ _ ➳ परिवर्तन तीन चीज़ों में लाना है:
    •चंचल मन
    •भटकती बुद्धि
    •पुराने संस्कार

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➢➢ फुलस्टॉप किसको लगाना पड़ता है?

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➳ _ ➳ जिसके संकल्प waste या फिर नेगेटिव हो उनको ही फुल स्टॉप लगाना पड़ता है।अगर हमारे संकल्प ही पॉजिटिव और श्रेष्ठ होंगे तो फुलस्टॉप लगाने की ज़रूरत ही नही पड़ेगी।

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➢➢ दूर होते हुए भी हम विश्व सेवाधारी किस प्रकार बन सकते है?

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➳ _ ➳ मनसा सेवा द्वारा हम किस भी आत्मा को प्रेरित कर सकते है और बाप का बनने का उमंग उत्साह पैदा करवा सकते है,
मन एक अंतर्मुखी यान है जिससे हम जहाँ चाहे वहाँ ओर जितना जल्दी चाहे पहुँच सकते है।

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➢➢ जिस आत्मा को मनसा सेवा देते है उसको क्या अनुभव होता है?

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➳ _ ➳ आत्मा को अनुभव होता है कि कोई महान शक्ति उन्हें बुला रही है, प्रेरित कर रही है|
वो आत्मा दूर होते हुए भी सम्मुख का एहसास करेगी।
उन्हें अनुभव होगा कि कोई लाइट आयी और एक विचित्र अनुभव कराकर गयी।

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➢➢ मनसा सेवाधारी आत्मा कैसे महसूस करती है?

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➳ _ ➳ मनसा सेवाधारी आत्मा डबल लाइट और शक्तिशाली महसूस करती है, क्योंकि वह स्थूल से परे सूक्ष्म में है।

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➢➢ हम किस प्रकार से मनसा सेवा कर सकते है?

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➳ _ ➳ साइलेंस के शक्ति से अंतर्मुखी यान द्वारा मनसा शक्ति द्वारा किसी भी आत्मा को चरित्रवान बनने की, श्रेष्ठ बनने की प्रेरणा दे सकते है।

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_( Roll No17)_

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➢➢ मनसा सेवा पावरफुल कैसे हो?

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➳ _ ➳ मनसा सेवा के लिए विशेष प्लान बनाना है, मनसा दूर दूर तक कार्य करेगी, द्रढ़ प्रतिज्ञा करना, संकल्प पावरफुल रखना,
एक घण्टा समय निश्चित करना, योग अलग, सुबह शाम के अतिरिक्त, बीच बीच में भी समय निकालना.

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➢➢ मनसा सेवा की तैयारी कैसे करनी है?

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➳ _ ➳ आत्माओ का आव्हान करना, दूसरो के साथ कार्य करने से पहले स्वयं के साथ करना, स्वयं के आत्मिक स्वरूप को इमर्ज कर, स्वयं से रुहरिहानं, पहले स्वयं को रियलाइज कराना.

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➢➢ मनसा सेवा की विधि क्या है?

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➳ _ ➳ आत्माओ को उनकी चाहतो का वरदान देना, उनके ईष्ट का साक्षात्कार कराना, टच थेरेपी, उनकी भृकुटि में टच करना और उन्हें भी फ़रिश्ता बना देना,जो हम करे, वही वह भी करने लगे.उनके मन्दिरो में प्रकाश भर जाये, देवदूत आ गया है दिल कह उठे.

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➢➢ परमात्म प्रेम अनुभव कराने की विधि क्या है?

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➳ _ ➳ फ़रिश्ते स्वरूप में अपने चाहतो के देवदूत को पाकर, आत्माये परमात्म प्रेम के गहन अनुभव में सहज ही डूब जाएँगी.

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➢➢ नास्तिक को भी ईश्वरीय प्रेम में भाव विभोर कैसे करे?

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➳ _ ➳ 3 दिन तक एक ही स्वमान में स्थित होकर, सकाश देने से नास्तिक आत्मा भी बदल जायेगी, अन्तः वाहक शरीर से चक्र लगाना, आत्माये फ़रिश्ते के जादुई हाथो को पकड़ स्वयं को पांडव भवन में घूमती महसूस करेंगी,

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_  38

ओम शांति

प्राणों से ❤🅱🅰🅱🅰 के महा वाक्य के अनुसार

1 मुख्य सेवा ये कितने प्रकार की और कौनसी??

उत्तर :  मुख्य सेवा ये 4 प्रकार की  १ स्व सेवा २ विशव सेवा ३ यज्ञ सेवा ४ मनसा सेवा।

2 स्व सेवा क्या है ? इसे कैसे करे ?

उत्तर : स्व को सम्पन्न और सम्पूर्ण बनाना, इसके लिऐ हमारी पढ़ाई के 4 विषय में *PASS WITH HONOUR*बनना  "ज्ञान स्वरूप, याद स्वरूप, धारणआ स्वरुप, होने से सेवाधारी स्वत : बन जाएंगे

3 स्व सेवा की विधि क्या है??

उत्तर : बुद्धि में सदा लक्ष्य सामने रहे, विशेष ध्यान रहे, स्व की चेकिंग, समय प्रबंधन और दृढ़ संकल्प द्वारा ।

4 विशव सेवा क्या है?? कै से करे ??

उत्तर : सभी आत्माओ की वाचा द्वारा practical स्वरूप द्वारा, भिन्न भिन्न तरीको से की गई सेवा

5 यज्ञ सेवा अर्थात ??

उत्तर : ब्राह्मनो के स्थूल धन द्वारा, तन द्वारा की गई सेवा ।

6 मनसा सेवा किसे कहेंगे ??

उत्तर : यह सेवा किसी भी समय किसी भी परिस्थिति में सुभ भावना, सद भावना, श्रेष्ठ संकल्प द्वारा की जा सकती हैं

तहे दिल से शुक्रिया मीठे प्यारे बाबा .......

मुझ आत्मा ने पहली बार ये हिन्दी लिखा है,  कुछ गलती हो तो क्षमा याचना करे

ओम शांति... ओम शांति...ओम शांति

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

_( Roll No 33 )_

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➢➢  रूहानी सेवाधारी की रूहानी फलक और रूहानी झलक कैसी होनी चाहिए...?

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➳ _ ➳  *रूहानी सेवाधारी की रूहानी फलक और रूहानी झलक सदा इमर्ज रूप में होनी चाहिए...*

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➢➢  स्थूल कार्य करते भी कौन सा कर्म करो..? कौन सी सूक्ष्म सेवा करो तो डबल सेवा हो जाएगी...?

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➳ _ ➳
लौकिक निमित्त से स्थूल कार्य लेकिन स्थूल और सूक्ष्म (याद और मन्सा सेवा) दोनों साथ - साथ... हाथ से स्थूल सेवा और बुद्धि के द्वारा मन्सा सेवा करते रहो तो डबल हो जाएगा... *रोटी बेलते भी स्व दर्शन चलता रहे...*

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➢➢  दर्शन किसका किया जाता है...?

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➳ _ ➳  *भक्ति में जो महान आत्मा हैं, जो श्रेष्ठ आत्मा है, दिव्य आत्माएँ है, जो पवित्र आत्माएँ हैं... जो हमसे गुणों में बड़े हैं उनका दर्शन किया जाता है... देवताओं का दर्शन किया जाता है... भगवान का दर्शन किया जाता है....*

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➢➢  स्वदर्शन या स्व का दर्शन क्या है..?

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➳ _ ➳  *स्व का दर्शन अर्थात स्व की स्मृति... स्व के श्रेष्ठ पार्ट का... किरदार का... स्व की जो भी भूमिका है उसका दर्शन... स्वदर्शन अर्थात स्व से सम्बन्धित जो भी है.. वह (आत्मा) कहां से आई है...? उसने क्या किया है...? उसके घर का दर्शन... अपने लक्ष्य (देवता रूप) का दर्शन... स्वदर्शन करना अर्थात 84 आत्मा ने जन्म में जो-जो भी किरदार निभाए उसका दर्शन... स्व के संपूर्ण स्वरूपों का अर्थात 5 स्वरूपों का दर्शन करना... अपने देवता स्वरूप... पूज्य स्वरूप का... अपने ब्राह्मण जन्म के श्रेष्ठ स्वरूप का दर्शन.. अपने लक्ष्य फरिश्ते स्वरूप का दर्शन...*

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➢➢ स्वदर्शन कौन चला सकता है...?

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➳ _ ➳ स्वदर्शन वही चला सकता जिसको स्वदर्शन चलाने का ज्ञान हो... शक्ति हो... पवित्रता हो... जिसको धारणाएं हो... एक पे निश्चय हो... साइलेंस में हो... मन का मौन हो... *जब तक साइलेंस में नहीं आते हैं मन का मौन नहीं होता है तब तक यह चक्र चल नहीं सकता है... जब तक मन शांत नहीं तब तक यह डांस हो नहीं सकता है... जिसके पास अंतरमुखता हो अर्थात स्व को देखना... दुनिया को देखने की आंखे बंद और खुद ही खुद को अंतर्मुखी हो देखना...*

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21

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➢➢ आत्मायें श्रीमत पर कब चलेंगी?

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➳ _ ➳ बाबा कहते *मैं जो हूं ,जैसा हूं..जिसने मुझे पहचान लिया, वो श्रीमत पर चलने लगेगी।*
(हम कई बार एक्सपेक्ट करते हैं कि फलानी आत्मा श्रीमत पर चले, उसके लिए बाबा कहते की *जब तक आत्मायें मुझे पहचानेगी नही, तब तक श्रीमत पर चल न सके।* इसके लिए बाबा कहते कि उनकी पहले मनसा सेवा करो, पहले उनके मन की धरनी को परमात्म प्रेम से तैयार करो, तब कही वो चले।)

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➢➢ आत्माओ की मनसा सेवा कैसे करे, तथा सेवा से पहले तथा सेवा के समय वायुमंडल कैसे शक्तिशाली बनाये?

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➳ _ ➳ सेवा में आने वाली आत्माओ को इमर्ज कर सकाश दे।
*(अर्थात पहले सूक्ष्म में सेवा, फिर स्थूल सेवा।)*
भोजन कराने से पहले सूक्षम में भोजन कराएं।

कोर्स कराने वाली आत्माओ को पहले सूक्ष्म में कोर्स कराए।

वाणी के साथ साथ मनसा सेवा *(डबल सेवा , सफलता ही सफलता हैं फिर)*

सेवा से पहले स्वयं की स्तिथि शक्तिशाली हो ,तभी सफलता तय हैं।

एक दूसरे के अवगुण न देख सेवा करना, नेगेटिविटी न फैलाना।

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➢➢ सबसे बड़ा एग्जामिनेशन हाल तथा सबसे बड़ा एग्जामिनेशन पेपर कौन सा हैं?

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➳ _ ➳ *सबसे बड़ा एग्जामिनेशन हॉल हैं ब्राह्मण परिवार, और सबसे बड़ा एग्जामिनेशन पेपर हैं एक एक ब्राह्मण आत्मा।*

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➢➢ सबसे बड़ा ज्ञान पुण्य कौन सा हैं? *( भक्ति के पुण्य अलग हैं ज्ञान पुण्य से)*

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➳ _ ➳ ज्ञान ,योग के समय कोई आत्मा आ जाये , उस समय उनकी सेवा करना।

आधात्मिकता से जो दरिद्र हैं ,उनको सम्पन बनाना।

सबके दिल को खुश करना ये सबसे बड़ा पुण्य हैं।

दलाल बन आत्मा की सगाई परमात्मा से कराना।

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➢➢ ज्ञान मार्ग में गिरना की क्या परिभाषा हैं?

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➳ _ ➳ गिरना अर्थात अवस्था का गिर जाना *(आज पावरफुल अमृतवेला ,कल उस अवस्था का अनुभव न होना)*

मुरली सुनी, लेकिन पॉइंट पॉइंट ही रह गया, शक्तिशाली रूप पॉइंट ने धारण न किया यह भी गिरना हैं।
बीमारी में हलचल में आना यह भी गिरना हैं।
खुशी गुम हो जाना।
*(याद का बल हैं ,तो गिरेंगे नही)*

➢➢ ब्राह्मणों की अपंगता को कैसे समाप्त करे?

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➳ _ ➳  पुरषार्थहीन में उमंग उत्साह भर।

निर्बल को बलवान बना।

हिम्मतहीन को हिम्मत दे।

3⃣2⃣:- *तीन बिंदियों का तिलक लगा, सदैव दो शब्द याद रखना- मनमनाभव, मध्याजीव, यही ज्ञान का सार है।*

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➢➢ बाप समान स्नेह सहयोगी बच्चो की विशेषताये ?

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➳ _ ➳  - *सेवा से प्यार।*
              - *तन, मन धन,समय सफल             करना।*
              - *सदैव स्मृति रहे संगमयुग है ही एक का पदमगुना जमा करने का युग।*

             - *अंतिम घड़ी तक मनसा सेवा करना।*
              - *तन सेवा में लगा 21 जन्मो के लिए  सम्पूर्ण निरोगी तन प्राप्त करना।*

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➢➢ पाप के लिए क्या आवश्यक है ?

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➳ _ ➳  - *बाप की याद भूलना, देह अभिमान, अशुद्ध अन्न, व्यर्थ संकल्प।*

              - *मै और मेरापन, बीती बातों को पकड़ कर रखना, अपनी गलती स्वीकार न करना।*

            - *शक करना, अनुमान लगाना, श्रीमत का उलंघन करना, तुलना करना, स्वयं को कोसना।*

            - *परचिन्तन, प्रदर्शन, परमत पर चलना।*

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➢➢ ब्राह्मण जीवन में सूक्ष्म पाप क्या है ?

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➳ _ ➳  - *लगाव और झुकाव, किसी की विशेषता के प्रति विशेष आकर्षण।*

             - *नाम रूप में फँसना, नाराज होना।*

            - *किसी की कमजोरी वा अवगुणों को फैलाना अर्थात महाभारत में वर्णित दुष्सासन समान चीरहरण करना।*

           - *अमानत में खयानत करना।*

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➢➢  वास्तव में पाप किसे कहेंगे ?

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➳ _ ➳   - *पाप अर्थात विस्मृति, अंधकार, मूर्छा, अज्ञान....*

               - *आत्म अभिमानी स्थिति (केंद्र) में स्थित हो कर जो करेंगे वह पुण्य है और देह अभिमानी स्थिति (परिधि) में स्थित हो कर जो करेंगे वह पाप है।*

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➢➢  दूसरों को सीखने के लिए क्या परम आवश्यक है ?

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➳ _ ➳  - *स्वमान में स्थित होना।*

              - *दूसरें को स्वमान में स्थित करा शिक्षा देना।*

             - *क्षमा भाव ।*
              
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1⃣9⃣

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➢➢ हम किसी भी आत्मा की सेवा कैसे कर सकते हैं?क्या-क्या विधि हैं?

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➳ _ ➳ पूराने समय में पंछियों द्वारा सेवा की जाती थी और अब अपनी *श्रेष्ठ संकल्पों की शक्ति* द्वारा अनेक आत्माओं के *कमजोर और व्यर्थ* संकल्पों को समाप्त कर सकते हैं।
             संकल्प शक्ति इतनी *powerful*हो जो संकल्प किया और हो गया।
               *फरिश्ते रूप में भी सूक्ष्म सेवा की जा सकती है।*

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➢➢ प्रज्ञा चक्षु क्या है?इसकी विशेषता बताइये।

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➳ _ ➳  *प्रज्ञा चक्षु बहुत ऊँचा शब्द है*वो व्यक्ति किसी भी भाषा की किताब पढ़ सकता है।

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➢➢ What is Reiki therapy? Who was the first founder?

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➳ _ ➳ *Reiki therapy*is nothing but touch therapy.It was first found in India by Mahatma Buddh.
      महात्मा बुद्ध ने यह चिकित्सा अपने शिष्यों को सिखाया।
       *Universal shakti* लेना और ट्रांसफर करना, हाथों के स्पर्श से।

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➢➢ Which is the best medicine in the world?

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➳ _ ➳ *Sub Conscious mind is the best medicine in the world*.

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➢➢ *हीट योग* क्या है?यह कैसे कार्य करता है?

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➳ _ ➳ *हीट योग*एक अलग ही प्रकार का योग है।
               *इसमें श्रेष्ठ संकल्पों द्वारा शरीर को इतना तपाया जाता है कि ठिठुरती ठंड में भी पसीने आ जाते हैं।*

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_( 41)_
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➢➢ *महारथियों के हर क़दम कैसे होने चाहिए ?*

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➳ _ ➳  हर क़दम में सेवा है , हर कर्म ,हर चलन में  |

➳ _ ➳   सेवा बिना एक सेकंड भी नहीं रह सकते  चाहे मनसा ,चाहे बोल के या   सम्बंध सम्पर्क से  ,निरंतर योगी है तो निरंतर सेवा धारी भी है  |

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➢➢ *हर चलन को देखते ही सेवा हो जाए   ,चलन से क्या अभिप्राय है ?*

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➳ _ ➳ चलन अर्थात अच्छा व्यवहार गुड मैनरस जैसे सुनने का  ,बोलने का  ,खान पीन  का ,पोशाक आदि पहनने का ।

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➢➢ *सुनने का कैसा व्यवहार होना चाहिए ?*

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➳ _ ➳ सुनने की शक्ति ज़्यादा  होनी चाहिए बोलने के  ,ध्यान से सुनना चाहिए सुनते सुनते विसुआलिज करना।

➳ _ ➳ कॉम्प्लिमेंट , अप्रीशीएट ,कंग्रैचुलेट आदि करना ,बात नहीं काटना बार बार करेक्ट नहीं करना ।

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➢➢ *बोलने का व्यवहार कैसा होना चाहिए ?*

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➳ _ ➳ सम्मान देकर मुस्कुरा कर प्यार से धीमे से बात करना। जादुई शब्द  जैसे क्षमा करे  ,कृपया ,धन्यवाद  आदि शब्द का प्रयोग करना चाहिए ।

➳ _ ➳ व्यंग बाण नहीं चलाना ,दुखद बात याद नहीं दिलाना ,अपनी तारीफ़ नहीं करना ,झूँट नहीं बोलना ,हार कर भी जीतने वाले को बधाई देना ।

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➢➢ *पहनने का व्यवहार कैसा हो ?*

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➳ _ ➳ स्वच्छ व मर्यादा पूर्ण हो ।
ऐसा ही पहनो जो अन्य को भी लगे वो भी पहन सकते है

➳ _ ➳ मोह ख़त्म करके पहनो  ,आयोजन के अनुसार पहनो ,घड़ी चश्मा कपड़े सही स्थान पर रखे ।

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➢➢ *खाने पीने का व्यवहार कैसा हो ?*

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➳ _ ➳ आवाज़ करते हुए नहीं खाना,
भोजन गिराना या छोड़ना नहीं ,दूसरों की थाली नहीं देखना ,बर्तन सही जगह पर रखना 

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➢➢ *टेलेफ़ोन पर बात करने का व्यवहार व अन्य व्यवहार कैसा हो?*

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➳ _ ➳ तेज़ आवाज़ में नहीं बोले  ,केवल रूम पर ही आन मोड पर हो बाक़ी समय वायब्रेशन मोड़े पर रखे
 
➳ _ ➳ पहले दूसरों को रास्ता दें ।

➳ _ ➳ सही समय पर पहुँचे ।

➳ _ ➳चुपचाप बैठे व उठे ।

➳ _ ➳ गर्भवती स्त्री  व सीनियर सिटिज़ेन  को सीट देवे आदि।

Roll No_11

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➢➢ मन्सा परिवर्तन

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➳ _ ➳ मन्सा परिवर्तन में डबल अटेंशन रखनी है।

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➢➢ अटेंशन रखने के लिए क्या करना है?

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➳ _ ➳ सम्पन्न बनने तक संकल्प तो आएंगे ही, ये नही सोचना है।
➳ _ ➳ जो भी करना है अभी आज करना है।
➳ _ ➳ अंत में सम्पूर्ण बनेगें ऐसा संकल्प में भी नहीं आए।
➳ _ ➳ अलबेलेपन की नींद से जागना है।
➳ _ ➳ अभी नहीं बने तो अंत मे भी नहीं बनेंगे,ये अटेंशन रखना है।

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➢➢ इन सबके लिए क्या करना है।

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➳ _ ➳ सेवा के साथ साधना भी करनी है।
➳ _ ➳ बीज यानी इच्छा इसको  समाप्त करना है, क्योंकि इच्छा ही सब दुखों का कारण है।
➳ _ ➳ योगाग्नि प्रज्ज्वलित करनी है।
➳ _ ➳ संकल्प अर्थात बीज को योगाग्नि में जला देना है, भून देना है ताकि आधाकल्प तक बीज पनप नहीं पाए।
➳ _ ➳ निर्बीज समाधि लगानी है।
➳ _ ➳ एक दिन का नहीं लंबे समय का अभ्यास रोज़ करना है।
➳ _ ➳ संकल्प में भी संकल्प नहीं आए कि बाद में करेंगें।

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➢➢ कौन सी विधि अपनानी है ?और उसके लिये क्या करना है।

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➳ _ ➳  अपनी चेकिंग द्वारा विकारों को आइडेंटिफाई करना है।
➳ _ ➳ परमधाम पूरा आग का गोला है, और मैं आत्मा उस में जल रही हूं,इसमें मुझ आत्मा के सारे विकार नष्ट हो रहे हैं।
➳ _ ➳ वैराग्य रूपी तलवार से सारे विकारों को काटना है।
➳ _ ➳ बीजों को नष्ट करना है तपस्या से।
➳ _ ➳ बहु काल के भस्मीभूत बीज जन्मजन्मांतर के लिए फल नही देंगें।
➳ _ ➳ कल करेंगे या बाद में ऐसे विचारों को भी तुरंत खत्म करना है।

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➢➢ धर्म सत्ता को सकाश देनी है।

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➳ _ ➳ इसमें सारे धर्म, तमोप्रधान भक्ति करने वाले, सारे धर्मों के गुरुओं को कट्टरपंथियों को शामिल करना है।
भगवान के नाम पर जो भी आडंबर है, धंधे चल रहे हैं उन पर फोकस करना है।
इन सबको पता चल जाये कि भगवान आ चुके हैं ऐसे वाइब्रेशनस फैलाने है।
ये अभ्यास निरंतर चाहिए।
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ओम शान्ति ,मेरे मीठे
🅱🅰🅱🅰

[12/18, 11:01 PM] ‪+91 97543 00800‬: ROLL NO 38

1MUKHYA SEVAYE KITNE PRAKAR KI R KOUN - KOUN SI HAI

ANS. I SWA SEVA

       II VISV SEVA

      III YAGYA SEVA

    IV MANSA SEVA

2. SWA SEVA KYA HAI N KAISE KARE

ANS. SWA KO SAMPANN N SAMPURN BANANA, ISKE LIYE HUMARI PADHAI KE 4 SUBJECTS ME PASS WITH HONOUR HONA

GYAN SWARUP, YAAD SWARUP, DHARNA SWARUP, TINO ME SAMPANN HONE SE SEVA SWATH HI HO JATI

3 SWA SEVA KI VIDHI KYA HAI ??

ANS.BUDHHI ME SADA LAKSHYA SAMNE RAHE, ATTENTION, SWA CHECKING, TYM MANAGMENT N DRADH SANKALP DWARA

4 VISVA SEVA KYA HAI? KAISE KARE

ANS. SABHI ATMAO KI VACHA DWARA,  PRACTICAL SWARUP DWARA, BHINA 2 TARIKO SE KI GAI SEVA

5 YAGYA SEVA ARTHAT ???

ANS.BRAHMANO KE STHUL DHAN DWARA, TAN DWARA KI GAI SEVA.

6 MANSA SEVA KISE KAHENGE ???

ANS.6 YE SEVA KISI BHI SAMAY , KISI BHI PARISTHIT SUBAH BHAVNA, SADBHAVNA, SRESTH SANKALPO DWARA KI JA SAKTI HAI

THANKS 💜❤🅱🅰🅱🅰

OM SHANTI
[12/18, 11:04 PM] ‪+91 97528 76658‬: _2⃣0⃣_

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➢➢  *स्वयं को सदा उठते बैठते, चलते फिरते रूहानी सेवाधारी समझने के क्या उपाय है* ?

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➳ _ ➳  *बुद्धि द्वारा मनसा सेवा करना*  ।

➳ _ ➳  *सेवा के उमंग उत्साह में रहना*।

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➢➢ *शारीरिक अस्वस्थता होने पर भी सेवाधारी बने रहने के लिए क्या करना है* ?

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➳_ ➳ *शरीर से बीमार होने पर भी मनसा सेवा कर सकते है* ।

➳_ ➳ *ज्ञान का चिंतन करना है*।

➳_ ➳ *छोटे मोटे कार्य करना है जैसे लिखना , क्लासेस सुनना आदि* ।

➳_ ➳  *स्वास्थ्य लाभ के चिंतन*।

➳_ ➳  *अपनी बीमारी पर योग के प्रयोग करना । स्वयं की चेकिंग करना। साक्षी होकर सहन शक्ति का प्रयोग करना*।

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➢➢ *बीमारी में खुश कैसे रह सकते है*  ?

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➳ _ ➳  *स्वमान का अभ्यास करना जैसे सिर दर्द में मैं डबल सिरताज आत्मा हूं, दिल मे दर्द हो तो मेरे दिल मे बाबा बसे है* ।

➳ _ ➳ *साथी आत्माओ को ज्ञान सुनाना* ।

➳ _ ➳ *संसार के बीमार आत्माओं को, डॉक्टर्स को, नर्सिंग स्टाफ को, हास्पिटल के प्रत्येक कर्मी  सकाश देना*।

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➢➢  *बीमारी में दूसरों को खुशी कैसे दे सकते है* ?

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➳ _ ➳ *बीमारी में भी ठीक होने का संकल्प चलाना*।

➳ _ ➳ *बीमारी के गुणगान का चिंतन , चुक्तु होने की खुशी से खश रहना*

➳ _ ➳ *बीमारी का वर्णन न करते हुए 'वाह व्याधि वाह' के चिंतन में खुश रहकर खुशी देना*।

➳ _ ➳ *प्रेम से किसी की मदद स्वीकार करना। यदि दूसरों की मदद न मिले तो खुद की मदद खुद करना*।

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➢➢  *बीमारी में और क्या क्या करना है*?

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➳ _ ➳  *साक्षी भाव से दूसरों के सेवा कार्य को देखना। सभी के प्रति कृतज्ञ भाव से उनके केयर को ऑब्जर्व करना* ।

➳ _ ➳ *जीवन के सत्य का चिंतन करना -- यह है बीमारी, बुढापा, मृत्यु इत्यादि जीवन सत्य का चिंतन करना*।

➳ _ ➳  *सत्य को रियलाइज करना*।

_0⃣8⃣_

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➢➢ *मनसा सेवा का साधन क्या है* ?

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➳ _ ➳  *सदा से अटूट निश्चयबुद्धि* ।

➳ _ ➳ *शुरू से अटलबुद्धि* ।

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➢➢  *निश्चयबुद्धि बनने से क्या-क्या मनसा सेवा होती है*?

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➳_ ➳ *वायुमंडल शुद्ध होता है।*

➳_ ➳ *हर कर्म में विजयता होती है*।

➳_ ➳ *चारों ओर के मनुष्य उनको देख समझते है की 'उनको कुछ मिला है'* ।

➳_ ➳ *कितना भी घमंडी व्यक्ति हो चाहे ज्ञान को न सुननेवाला भी हो अंदर में ये समझते है- 'इनका जीवन कुछ बना है*' ।

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➢➢ *गीता में भगवानुवाच है-'पवित्र करनेवालों में मैं वायु तत्व हूँ'- वायु तत्व ही क्यों*?

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➳ _ ➳ *उसका कहि लगाव नही है*।

➳ _ ➳ *वायु कभी रुकता नहीं है*।

➳ _ ➳ *वायु किसी की पकड़ती नहीं है*।

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➢➢ *अपवित्रता का बीज क्या है* ?

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➳ _ ➳ *लगाव*

➳ _ ➳ *झुकाव*

➳ _ ➳ *आसक्ति*

➳ _ ➳ *अनोरक्ति*

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➢➢ *वायु को क्यों सकाश देनी है* ?

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➳ _ ➳ *स्थूल कारण :- वायु में प्रदूषण है - उसे दूर करने के लिये*।

➳ _ ➳ *वायु में जो बीमारियां फैली हुई हैं- उन्हें रोकने के लिये*।

➳ _ ➳ *धरती के Temperature को Control में रखने के लिये*।

➳ _ ➳ *सूक्ष्म कारण :- वायु में फैले हुए  विकार- काम,क्रोध,हिंसाको परिवर्तित करने के लिये*।

➳ _ ➳ *व्यर्थ और नेगेटिविटी को परिवर्तित करने के लिये*। 

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➢➢ *वातावरण को कैसे शुद्ध करना है* ?

➳ _ ➳ *स्थूल* :- *वृक्ष लगाकर*।

➳ _ ➳ *प्लस्टिक, कचरा बाहर ना फेककर नियोजित स्थान पर ही फेंकना*।

➳ _ ➳ *जोरसे हॉर्न नही बजाना*।

➳ _ ➳ *जोरसे ना हँसना, ना बोलना, नाही पुकारना*।

➳ _ ➳ *सूक्ष्म*:- *अपने श्रेष्ठ और पवित्र संकल्पो से* ।

*13*
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➢➢ *कौन सी किले में सदा सुरक्षित रह सकते हैं?*

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➳ _ ➳ पवित्रता की किला में

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➢➢ *किस में एक मोह रखना है?*

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➳ _ ➳  *शिवबाबा में*
             ब्रह्माबाबा में
             दादियों में
           वरिष्ठ भाईयों में

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➢➢ *अंत में किस सेवा से सर्टिफिकेट मिलेगा?*

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➳ _ ➳  कर्मणा
             वाचा
             *मनसा* 
          संबंध-संपर्क

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➢➢ *ब्राह्मणों की मुख्य सब्जेक्ट कौन सी है?*

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➳ _ ➳ ज्ञान
             सेवा
             धारणा
             *योग(याद)*

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➢➢ *हमें सेवा किस उद्देश्य से करनी चाहिए?*

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➳ _ ➳ प्रसिद्धि के लिए
             प्रारब्ध के लिए
          अपने भक्त बनाने के लिए
          *प्रभु प्रेम बढ़ाने के लिए*

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_( यहां आपको अपना Roll No टाइप करना है )_
22
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➢➢ *मन्सा सेवा अर्थार्त?*

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➳ _ ➳ *निरंतर सेवाधारी*
--- *रूहानी सेवाधारी*
--- *कर्मणा द्वारा रूहों में शक्ति भरना, बल भरना*
--- *शुद्ध संकल्पों की सेवा*
--- *स्थूल में भी रूहानी सेवा भरी हो*
---- *स्वरूप बन करके स्वरूप बनाने की सेवा*
--- *नव निर्माणकर्ता*
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➢➢  *मन्सा सेवा करते समय अपनी सदैव यह चैकिंग करो कि डबल सेवा कर रही हूँ?*

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➳ _ ➳ *सेवा करने से पहले चेक करना है हमारी स्थिति कैसी है, साधारण तो नही, स्वयं की स्थिति रूहानी सेवाधारी वाली होनी चाहिए।*
--- स्थूल काम हाथों से करना है और बुद्धि से मन्सा सेवा करनी है।
--- मन्सा वाचा कर्मणा तीनों रूपों में बेहद की सर्विस करनी है।
--- *कर्म साधारण न हो हर आत्मा के प्रति ऊँच दृष्टि, हर आत्मा को बाप के समीप लाने का बल भरना।*
--- मन्सा द्वारा वयमण्डल श्रेष्ठ बनाने और कर्म द्वारा स्थूल सेवा कर डबल कमाई करनी है।
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➢➢ यतीम आत्माओं को सकाश देने की सेवा कैसे करनी है?

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➳ _ ➳  जिन आत्माओं के मात पिता ने...  बचपन में ही उन्हें छोड़ दिया... जिन्हें मातपिता की पालना न मिली हो... ऐसी दुःखी आत्माओं को... पारलौकिक, अलौकिक माँ बाप का... परिचय देने के लिए सकाश देना है... *उनके लिए हरी का द्वार खोल देना है*... श्रेष्ठ स्वमान मै डबल लिफ्ट देने वाली आत्मा हूँ... में स्थित हो ऐसी यतीम आत्माओं को उनके सच्चे मात पिता से मिलवाने है... शक्तिशाली रूहानी बल भर... निर्बल आत्माओ में बल भरने की रूहानी सेवा करनी है... *पूरे विश्व को रूहानी मन्सा सेवा द्वारा यह संदेश पहुंचना है... कि हमें चलाने वाला भगवान... करन करावनहार परमात्मा चला रहा है... हर एक आत्मा कह उठे... अहो प्रभु!!!!*.....

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➢➢ रूहानी सेवाधारी कैसे बने?

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➳ _ ➳  *स्थूल सेवा में भी रूहानी सेवा*
- *कर्मणा सेवा में भी रूहानी सेवा भरी हो*
- *आत्मिक दृष्टि का अभ्यास, आत्मिक स्मृति*
- शुद्ध वायब्रेशन देना
- *हर आत्मा को साधारण नही महान आत्मा समझना है*
- हम रूहानी पण्डे है
- *सारे विश्व में विकारों की सफाई की सेवा करनी है*
- हम यज्ञ रक्षक है,
- बाप द्वारा मिले ज्ञान रत्नों को विश्व की आत्माओं में बाटने की सेवा कर रही हूँ
- आत्माओं को रूहानी फरिश्ता ड्रेस पहनाने की सेवा करनी है
- *बाबा से आत्माओं को जोड़ना, पुराने संस्कारों को मोड़ना है और कर्मबन्धनों को तोड़ने की सेवा*
- *विश्व के श्रृंगार बनाने की सेवा*
- विश्व में जो कामविकार की अग्नि लगी है उससे विश्व की आत्माओं को जलने से बचाने की सेवा
- *हर संकल्प, हर सेकण्ड में सेवा समाई हुई हो नस-नस में सेवा समाई हो जिस तरह धमनियों में रक्त प्रवाहित होती है सेवा समाई हुई हो, सेवा ही जीना है।*
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*मनसा सेवा... 37*

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➢➢ *दृढ़ता की तपस्या* के लिये स्वयं से क्या रुहरिहान करनी है?

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➳ _ ➳ *हर संकल्प को अमर अविनाशी* बनाने के लिये

➳ _ ➳ *रियलाईज़ेशन* करने के लिये

➳ _ ➳ *रीइनकारनेट* करने के लिये

➳ _ ➳ *स्थिति को सदाकाल मजबूत* बनाने के लिये

➳ _ ➳ *दृढ़ता के अभ्यास* से रुहरिहान करनी है।

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➢➢ *शुद्ध संकल्पों की शक्ति* से क्या बढ़ाना है?

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➳ _ ➳ *जमा का खाता* बढ़ाना है

➳ _ ➳ *अन्तर्मुखी* बनना है

➳ _ ➳ *व्यर्थ संकल्पों को समाप्त कर दूसरों के प्रति शुभ भावना... शुभ कामना रखनी है*

➳ _ ➳ अपने शुद्ध संकल्पों से *दूसरों के व्यर्थ संकल्पों को समाप्त* करना है

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➢➢ *मुरली क्या है और उसकी हर पॉइंट* को क्या करना है?

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➳ _ ➳ *मुरली... हम ब्राह्मणों का खजाना* है

➳ _ ➳ मुरली को सुनना अर्थात *विचार सागर मन्थन करना, अनुभव करना, धारण करना,कार्य में लगाना*

➳ _ ➳ *शक्ति के रूप में जमा करना*

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➢➢  *शुद्ध संकल्प* कहाँ से प्राप्त कर सकते हैं?

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➳ _ ➳ *स्थूल चीज़े... जैसे साकार मुरलिया... अव्यक्त मुरलिया... किताबें, साहित्य, क्लासेज, मैग्जीन्स(ज्ञानामृत, प्यूरिटी)*

➳ _ ➳ *अव्यक्त मुरली* को समझने के लिये गहन चिंतन की आवश्यकता है

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➢➢ *मुरली को कैसे और कितनी बार पढ़ना है?*

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➳ _ ➳ मुरली को *20बार* पढ़ना है

➳ _ ➳ मुरली को एक बार पढ़ कर छोड़ दो... फिर इंटरवल, फिर दूसरी बार, फिर थोड़ी देर बाद, ऐसे करते करते 10 बार पढ़ना है

➳ _ ➳ रीवीज़न करने के लिये...
पहली बार *बाबा के कमरे में*
दूसरी बार *प्रकृति के सानिध्य में*
तीसरी बार *अपने कमरे में*
चौथी बार *चलते फिरते*

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3⃣4⃣

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➢ *स्थापना* में जो भी *कार्य* हुए उसमें *सफलता* कैसे मिली ?

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➳ _ ➳ *मनसा सेवा से*

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➢➢ *मनसा सेवा* के लिए कैसी *स्थिति* चाहिए ?

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➳ _ ➳ *लाइट हाउस, माईट हाउस* की स्थिति

➳ _ ➳ लाइट भी हो, *माइक* भी हो

➳ _ ➳ *माईट* और *माइक* दोनों *इकट्ठे* हों

➳ _ ➳ *माइक के आगे माईट हो*

➳ _ ➳ *मुख* ही *माइक* हो

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➢➢ *हम* दुनिया के *हीरो एक्टर्स* हैं तो हमें *किन बातों* पर *अटेंशन* देना चाहिए ?

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➳ _ ➳ 1. *अंगिका* - अंगों की गतिविधि कैसी है *(Physical movements)*

➳ _ ➳ 2. *वाचिका* - कैसे बोल रहे हैं *(Speech)*

➳ _ ➳ 3. *अहर्य* - परिधान, पहनाईस कैसी है *(Dress)*

➳ _ ➳ 4. *सात्विक* - मानसिक स्थिति कैसी है *(Mental Condition)*

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➢➢ *मनसा सेवा* को कहाँ-कहाँ *यूज़* करना है ?

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➳ _ ➳  *चलते-फिरते*, प्रकृति के लिए, *प्राकृतिक आपदा* के समय, *बीमारी* के समय, *दुःखी*, उदास, *मानसिक रोगी के प्रति*

➳ _ ➳ *सफलता* के लिए, *विरोधी आत्माओं* के प्रति, *कड़क संस्कार वालों* के प्रति, *भटकती आत्माओं* के लिए

➳ _ ➳ *आर्मी*, नेवी, सी.आर.पी.एफ, *एयरफोर्स*, किसानों के लिए, *भिखारी*, गरीब, अपाहिज, *विकलांगों के लिए*

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_( यहां आपको अपना Roll No टाइप करना है )_
*31*
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➢➢  संमेलन का अर्थ क्या है ?

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➳ _ ➳  *सममिलन ।*
➳ _ ➳  *जो बाप समान , अपने समान बनाये आने वाले ये नही समझे मदत करने आये ये स्थान देने का है।*
➳ _ ➳  *रिगार्ड देना ही है ।*
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➢➢ मरुभूमि क्या है ?

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➳ _ ➳  *ये संसार मरुभूमि है। यहां लेने का स्थान देने का नही।*
➳ _ ➳   *आने वाले समझे मरुभूमि में ज्ञान की रसवंती लेने आये है । हम जीते है संसार मरुभूमि है।*

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➢➢  हमारा लक्ष्य क्या है ?

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➳ _ ➳  *कुछ ना कुछ देकर भेजना है ,  रिगार्ड देना एक बाप का बनाना है। चारों और लाईट देना तो सफलता हुई पड़ी है।*

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➢➢  हमारी दृष्टि कैसी हो ?

────────────────────────

➳ _ ➳  *दृष्टि से रहम भाव दिखे, दृष्टि  आत्मा को दे , दृष्टि से सृष्टि बदलती है दृष्टि में सौंदर्य है तो वही दिखेगा।*
➳ _ ➳   *दृष्टि से  जो भाव है वही दिखे दृष्टि में प्रेम है तो वही दिखे।, दृष्टि में जो वही दिखेगा। नफरत है निगेटिव्हीटी है तो वही दिखेगा।*
➳ _ ➳  *दृष्टि में प्रेम है तो प्रेम मिलेगा।*
➳ _ ➳  *जो भाव भावना है वही दिखे।*
*दृष्टि से अध्यात्म शांति दि जा सकती है। दृष्टि एक वायरलेस कनेक्शन है।*

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➢➢ दृष्टि का महत्व क्या है , क्या दिया जा सकता है ? 3rd eye क्या है ?

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➳ _ ➳ *दृष्टि से इशारा दिया जा सकता है। दृष्टि से रहम भाव दे सकते है, दृष्टि से सारे संसार को  शक्तियां दि जा सकती है। दृष्टिपात कर सकते है।*
➳ _ ➳  *जैसे ब्रह्माबाबा ने दादी को सारी शक्तियां ट्रान्सफर कर दि।*
➳ _ ➳  *तीसरी आँख से जो अदृश्य है वह देख सकते है जिसका खुलेगा उसे सबकुछ दिखेगा जो सामान्य आँख से नही दिखता , वे अपनी मृत्यु को देख सकते है 6 मास पहले आत्मा को निकलते देख सकते है। तीसरा नेत्र सूक्ष्म शरीर में है।*

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➢➢  तीसरा नेत्र कब खुलेगा ?

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➳ _ ➳  *जब अंदर बाहर स्थूल नेत्र से ऊर्जा बाहर न जाये।* *वो अंदर ही रहे*
*ऊर्जा अंदर जाय  ऐसा करने के लिए साधना  तपस्या हो बाहर ऊर्जा फ्लो होना बन्द , दूर का  आवाज सुनने का प्रयास करना एक भी आवाज छुट ना पाये। ये एकाग्रता का अभ्यास है ये अभ्यास बढ़ता है एक बल से।*

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1⃣8⃣
*MANSA SEWA*
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➢➢ सारा दिन कौन कौन सी सेवा मे बिजी रहना है ?

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➳ _ ➳ *मनसा,वाचा,कर्मणा,तन,मन,धन,स्व सेवा,यज्ञ सेवा,बिश्व सेवा,साधनो द्वारा सेवा।ऐसे सारा दिन कोई न कोई प्रकार की सेवा में बिज़ी रहना है* ।

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➢➢ सेवा के लिए निमित्त बन करके सेवाधरी बन करके सेवा का चान्स कैसे लेना है ?

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➳ _ ➳ *जो निमित्त बने हुए सेवाधारी हैं उनसे संपर्क रखते हुऐ आगे बढ़ते चलो तो सफलता मिलती जाएगी* ।

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➢➢स्व सेवा कैसे करनी है ?

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➳ _ ➳ *आत्म चिंतन करके,मनन, अध्यन करके,शरीर की देखभाल ऐसे स्व सेवा करनी है*।

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➢➢ यज्ञ सेवा में क्या करना है ?

────────────────────────

➳ _ ➳ *स्थूल सेवा,टोली बनाना,भोजन बनाना,भोग लगाना,चित्र बनाना,धन से सेवा,लेख लिखना,ट्रांसपोर्ट सेवा,,कीर्तिमान स्थापन करना.....ऐसे कई प्रकार की यज्ञ सेवा मे बिजी रहना है*।

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➢➢मनसा सेवा का भी बहुत चांस है कैसे?

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➳ _ ➳ *एक स्थान पर बैठ कर पुरे विश्व की सेवा कर सकते हो अमृतवेला विश्व को सकाश देकर,दृष्टि देकर,प्रकृती आपदा के समय सकाश देना ऐसे कई प्रकार की मानस सेवा में खुद को बीजी रखना है*।

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➢➢विश्व सेवा और साधनो से सेवा कैसे कर सकते हो ?

────────────────────────

➳ _ ➳ *सम्बन्ध सम्पर्क में सेवा,ज्ञान चर्चा करना,जो ज्ञान छोड़ कर चल गये हैं उनको ज्ञान मे वापिस लाना,पर्चे,C D,किताबे बितरित करना,पब्लिक प्रोग्राम,कल्चर प्रोग्राम, स्नेह मिलन, रैली,प्रकृति आपदा के समय सेवा करना,ड्रेस,बेज से सेवा,दृष्टि हीन, बोल नही सकते सुन नही सकते उनको ज्ञान में लाना और स्थूल साधनो से प्रदर्शनी  से मिडिया,म्यूजियम,प्रिंटिंग,बेनर,बोर्ड,ऐसे कई प्रकार से हम विश्व की सेवा  कर सकते हैं* ।

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26

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➢➢ *सदा बाप की हूँ.. बेहद की हूँ* इस स्मृति में रह सर्व आत्माओं के प्रति क्या करते चलो ?

────────────────────────

➳ _ ➳ *सदा बाप की हूँ.. बेहद की हूँ* इस स्मृति में रह सर्व आत्माओं के प्रति शुभ संकल्प द्वारा सेवा करते चलो।

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➢➢ *सेवा का फल* कब तक नहीं निकलेगा ?

────────────────────────

➳ _ ➳ मुख द्वारा भल समझाओ  लेकिन जब तक *शुभ भावना का बल* उस आत्मा को नहीं देंगे तब तक फल नहीं निकलेगा।

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➢➢ *ज्ञान का तीर* कब लगेगा ?

────────────────────────

➳ _ ➳ *मनसा वाचा* दोनों इक्कठी सेवा हो... सिर्फ संदेश देने तक नहीं हो... *मनसा सेवा साथ साथ हो तो तीर लग जायेगा।*

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➢➢ *शुभ भावना* किस किस के प्रति रखे ?
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➳ _ ➳ *स्वयं के प्रति*

➳ _ ➳ *संसार की सर्व आत्माओं के प्रति*

➳ _ ➳ *ब्राह्मण आत्माओं के प्रति*

➳ _ ➳ *प्रकृति के प्रति*

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

➢➢ *शुभ भावना* क्यो रखे ?

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➳ _ ➳ *बाप का फरमान* हैं।

➳ _ ➳ हम *पूर्वज आत्मा* हैं।

➳ _ ➳ *बाप समान* बनना हैं।

➳ _ ➳ *ॐ शांति के अर्थ स्वरूप में टिक जाये.. समा जाये।*

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

➢➢ *स्वयं के प्रति* क्या शुभ भावना रखें ?

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➳ _ ➳ अमृतवेले सबसे पहला संकल्प : *"मैं परमात्मा आज्ञाकारी बच्चा हूँ।"*

➳ _ ➳ समय, श्वाश, संकल्प तीनो खजाने व्यर्थ न जाये क्योंकि *संगमयुग छोटा सा युग... जमा करने का युग हैं।*

➳ _ ➳ स्व-स्थिति सदा श्रेष्ठ हो। *स्वयं पढ़ना हैं और सब को पढ़ाना हैं।*

➳ _ ➳ *"आत्मा जो सतोप्रधान थी"* - यह *ज्ञान की कस्तूरी हैं...* इसको सब जगह फैलानी हैं।

➳ _ ➳ *स्वयं स्वयं की चेकिंग* करनी हैं।

➳ _ ➳ *मैं मास्टर सर्वशक्तिमान* हूँ यह संकल्प रूपी बीज से तमोप्रधान वातावरण में कमल समान रहना हैं।
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➢➢ *संसार की सर्व आत्माओं* के प्रति क्या शुभ भावना रखें ?

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➳ _ ➳ जो *दुष्ट हैं उनका जीवन का अंधकार नष्ट हो।*

➳ _ ➳ सारे विश्व में *स्वधर्म का... सुख, शांति और पवित्रता का सूर्य उदय हो।*

➳ _ ➳ जिसने जो जो *शुभ सोचा हैं...* उसको वह मिल जाये।

➳ _ ➳ संसार की *भक्त आत्माओं को उनकी भक्त्ति का फल* मिल जाये।

➳ _ ➳ *स्वयं के स्वरूप* की पहचान हो जाये।

➳ _ ➳ *ईश्वर की पहचान* हो जाये।

➳ _ ➳ *सारा संसार ही मेरा अपना हैं यह भाव जागृत* हो जाये।

➳ _ ➳ *पवित्रता का जन्म सबके मन में* हो जाये।

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━━━━

➢➢ *ब्राह्मण आत्माओं* के प्रति क्या शुभ भावना रखें ?

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➳ _ ➳ *व्यर्थ से मुक्त्त... तीव्र पुरुषार्थी* बन जाये।

➳ _ ➳ *बाप को प्रत्यक्ष* करना ही हैं।

➳ _ ➳ एक संकल्प *"अब घर जाना हैं"* में स्थित हो जाये।

➳ _ ➳ *महेनत से मुक्त्त महोबत* में लीन हो जाये।

➳ _ ➳ *एक में ही सभी रसों की अनुभूति* हो।

➳ _ ➳ *मुरली* के प्रति आकर्षण बढ़ जाये।

➳ _ ➳ *नाम... मान... शान* से मुक्त्त हो जाये।

➳ _ ➳ *ईश्वरीय मर्यादाओ* में चले।

➳ _ ➳ *बाप समान*, प्रकृतिजीत, मायाजीत, स्वमानधारी बन जाये।

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━━━━

➢➢ *प्रकृति* के प्रति क्या शुभ भावना रखें ?

────────────────────────

➳ _ ➳ *प्रकृति आज्ञाकारी* बन जाये।

➳ _ ➳ *प्रकृति सतोप्रधान* बन जाये।

➳ _ ➳ सारा विश्व *स्वधर्म का सूर्य* देखे।

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➢➢ कौनसी *विधि द्वारा शुभ भावना प्रत्यक्ष* होगी ?

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➳ _ ➳ संकल्प को *मन की नजरों से प्रत्यक्ष* होता हुआ देखे।

➳ _ ➳ *निरन्तर शुभ भावना रखना ही मनसा सेवा करना हैं।*

➳ _ ➳ *संकल्प... बोल... कर्म एक समान* बन जाये।

2⃣3⃣

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➢➢  *अगर हम प्राप्त शक्तियों को कर्म में युज करते है तो इसकी रिजल्ट क्या होगी ?*

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➳ _ ➳  ये कर्म ही संसार की आत्माओं के सामने हमारी पहचान करायेगा ।  बाप की पहचान करायेगा । ये कर्म बाप को प्रत्यक्ष करेगा । कर्म सहज है संसार की आत्माएं सुक्ष्म को टच करने की शक्ति उनमें अभी नही है इसलिए स्थुल कर्म ही उनकी बुद्धि को टच करेगा, कर्म शक्ति द्वारा संकल्प शक्ति को जानते जायेंगे । कर्म से फिर संकल्प तक पहुचेंगे । कर्म द्वारा शक्ति स्वरूप का साक्षात्कार करेंगे ।

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➢➢ *कौन से कर्म हमारी बुद्धि को ऊपर से नीचे ले आते है*

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➳ _ ➳  साधारण कर्म, कमजोर कर्म हमारी बुद्धि को ऊपर से नीचे ले आते है । जैसे स्थुल धरणी की आकर्षण ऊपर से नीचे ले आती है । ऐसे कर्म ना हो इसके लिए चित्र को चरित्र में लाओं ।

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➢➢ *श्रेष्ठ कर्म किसे कहेंगे या कौन सी अवस्था में किये कर्मों को श्रेष्ठ कर्म कहाँ जायेगा ।*

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➳ _ ➳  श्रीमत के आधार पर जो कर्म होगा वो श्रेष्ठ होगा । परमात्म याद में किये सभी कर्म श्रेष्ठ कर्म है । अनास्कत वृति साक्षी भाव से किये कर्म श्रेष्ठ कर्म है निमित भाव, निष्काम भाव, कर्तापन की भावना से मुक्त, त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित होकर किये कर्म श्रेष्ठ कर्म है ।

➳ _ ➳  नम्रता से किये कर्म श्रेष्ठ कर्म है । गुण दान करना, प्रेरणा दायी कर्म करना, रॉयल कर्म करना श्रेष्ठ कर्म करना है ।

➳ _ ➳  शुभावनाओं समपन्न कर्म करना, देही अभिमानी अवस्था में स्थित होकर कर्म करना, स्वमान में स्थित होकर कर्म करना, जिससे आत्म उन्नति हो ऐसे कर्म करना, सेवा भाव से कर्म करना श्रेष्ठ कर्म है ।

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➢➢ *जो कुछ भी बुरा या नेगेटिव हमें किसी से मिल रहा है उस समय हमारा आन्तरिक भाव परिस्थितियों या व्यक्ति के प्रति कैसा होना चाहिए ?*

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➳ _ ➳  हमें किसी से कुछ भी बिना बजह नहीं मिल रहा है जो भी मिल रहा है हमारे द्वारा किये कर्मों का ही प्रतिफल है जो कुछ मेरे पास आ रहा है मेरे ही कर्मों का फल है । जो भी सामने आ रहा है जिससे जो मिल रहा हमने ही उनको दिया है । हमारा आन्तरिक भाव मौन का हो समग्र मौन ।

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➢➢ *कौन से कर्म हमें बिल्कुल नहीं करने है ?*

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➳ _ ➳  ठगने वाले कर्म ना हो । और जिस कर्म को करने से नये कर्म बन्धन बने ऐसे कर्म नहीं करने है ।

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*मनसा सेवा* - *Roll No : - 12*

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➢➢  *सदा एवरेडी की निशानियाँ क्या हैं?* 

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➳ _ ➳  एवरेडी माना *ओडर मिला चल पडा।*

➳ _ ➳  *हर प्रकार की सेवा के लिए तैयार* - आडर मिला हाँजी।

➳ _ ➳  *क्या करे कैसा करे ऐसे  संकल्प आया तो एवरेडी नहीं।*

➳ _ ➳  एवरेडी अर्थात आलरौण्डर। *मनसा सेवा, वाचा सेवा,  कर्मणा सेवा तीनों में नंबर वन।*

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➢➢  *अगर मनसा सेवा में सफलता होगी तो किस किस बातों में चढती कला होंगें?*
 
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➳ _ ➳  चढती कला *5 बातों में* होंगें  -
    - *quality में* चढती कला,
    - *quantity में* चढती कला,
    - *वायुमण्डल में* भी चढती कला,
    - *स्वयं* को भी चढती कला,
    - *साथी* को भी चढती कला

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➢➢ एवरेडी किन किन बातों में? 

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➳ _ ➳  *सेवा* में एवरेडि - किसी भी सेवा आ जाये वो करने के लिए हम तय्यार हैं।

➳ _ ➳  *परिस्थिति* में एवरेडि - किसी भी परिस्थिति आये तो सामना करने के लिए एवरेडि। अचानक परिवर्तन के लिए एवरेडि।

➳ _ ➳  *हिसाबकिताब* चुक्तू करने के लिए एवरेडि - शरीर के बीमार के लिए एवरेडि, आसपास वालों कि मित्रसंबन्धियों कि बीमारी व वियोग के लिए एवरेडि।

➳ _ ➳  *धनसंपत्ति* में एवरेडि - आज है कल कुछ भी नहीं ऐसी अवस्था होंगें।

➳ _ ➳  *प्राकृतिक आपदों में* एवरेडि।

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➢➢  *मनसा सेवा में सफलता हुई तो हमें क्या अनुभव होंगें?*

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➳ _ ➳  अगर मनसा सेवा में सफलता होगी तो *स्वयं और सेवाकेन्द्र निर्विघ्न और चढती कला में होंगा।*

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➢➢ *अब हमारा कार्य क्या है?*

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➳ _ ➳   बाबा कहते है आप का कार्य है *वायुयण्डल को शक्तिशाली बनना।* *अपने स्थान* ( जहां रहते हो वहां) का *शहर* का *भारत* का *विश्व* का वायुयण्डल पाँवर फुल बनना।

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➢➢  *तीव्रपुरुषार्थी की विशेषताएं क्या हैं?*

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➳ _ ➳   तीव्रपुरुषार्थी की विशेषतायें है *एवरेडी* और *आलरौडर।* हर प्रकार कि सेवा के लिए तय्यार।

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2⃣7⃣ *MANSA SEVA*

>> *वास्तविक सन्यास क्या है?*

>> पूर्णरूप से मेरापन से मुक्त होना ही वास्तविक सन्यास है। *बेहद का सन्यास रखो और विश्व कल्याण हेतु हर कार्य करो तब कहेंगें वास्तविक सन्यासी।*

*( बाबा को अपने सामने इमर्ज कर बाबा को कहें :- बाबा ये घर भी तेरा, इस घर की हर ज़िम्मेवारी भी तेरी, इस घर के हर सदस्य को सही मार्ग पर चलाने की ज़िम्मेवारी भी तेरी, ये तन भी तेरा, ये मन भी तेरा , ये धन भी तेरा... बस सिर्फ एक तू मेरा है )*

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>> *सकाश कैसे दें?*

>> *किसी के प्रति अगर घृणा है या किसी बात को माफ नहीं किया तो उस तक सकाश नहीं जाएगी।* इसलिए हर आत्मा के लिए शुभकामना शुभभावना रखो तो ही real sense में मनसा सेवा कर पाएंगे।

*( जिन आत्माओं ने आपको दुःख पहुंचाया हो, उन्हें इमर्ज कर साकाश दें और उन्हें क्षमादान दें... क्षमा महावीरों का आभूषण है । )*

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>> *समर्पण भाव:-*

>> जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये। *बाबा जिस भी हाल में रखे हर पल तेरा शुक्रिया बाबा।*

*( बाबा को अपने सामने इमर्ज कर बाबा से वायदा कीजिये :- बाबा आप जहां रखोगे, जैसे रखोगे वैसे रखूंगी, जो खिलाओगे जैसे चलाओगे वैसे चलूँगी और हर हाल में खुश रहूंगी )*

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>> *लौकिक में सन्यास किसको कहेंगे?*

*जो आत्मा वृत्ति में रहते हुए भी बन्धन मुक्त है अर्थात बन्धनों में नही फसती।* सोने अर्थात लोहे दोनों प्रकार की बेड़ियों से  मुक्त होना ही लौकिक सन्यास है।

*( अपने हर कर्म बंधन को कर्म बंधन की तरह न देखते हुए सेवा के सम्बन्ध में देखना है । अपने हर लौकिक सदस्य को इमर्ज कर यह संकल्प करना है की यह भी मेरा आत्मा भाई है, यह भी मेरा आत्मा भाई है, यह भी मेरा आत्मा भाई है )*

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>> *साक्षीदृष्टा बनना क्या है?*

>> *चाहे कोई फूलमाला डाले चाहे घोर अपमान करे मन प्रतिक्रिया से विचलित न हो साक्षी बन देखते रहो।* हे आत्मा तुम्हें तुम ही मुक्त कर सकती हो परमात्म सत्य को जानकर। *ड्रामा चल रहा है ये स्मृति रहे इसको कहेंगे साक्षीदृष्टा।*

*( सूक्ष्म वतन में स्वयं को स्थित कर अपने जीवन की हर परिस्थिति को detach होकर देखिये ... और आपके सम्बन्ध संपर्क में आने वाली हर आत्मा को साक्षी होकर उनका पार्ट बजाते हुए देखिये )*

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