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*20 / 05 / 17 का मनन चिंतन*
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*अपने ब्राहमण जीवन का कोई एक प्रैक्टिकल उदाहरण देकर बताइए जब आपने एक विधि को फॉलो करते हुए स्वयं के किसी एक अवगुण को भस्म किया हो...*
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ओम शांति... ब्राह्मण जीवन से पहले मेरा सबसे बड़ा अवगुण यह था कि मैं सोचता बहुत ज्यादा था, चिंता बहुत ज्यादा करता था, व्यर्थ संकल्प बहुत चलते थे, future के बारे में ज्यादा सोचता था
लेकिन ब्राह्मण बनने के बाद सबसे पहला लक्षण जो मैंने धारण किया वह यह था:- *TAKE ONE DAY AT A TIME AND MAKE IT A MASTERPIECE....* वर्तमान में जीना शुरु किया... मैंने *स्वयं की बार बार काउंसलिंग* की कि मुझे सिर्फ आज के बारे में ही सोचना है... जो भी हुआ वह ड्रामा... सबसे पहले *ड्रामा का पाठ* पक्का किया... भविष्य का सबकुछ *बाबा को अर्पित* किया... बार-बार स्वयं को स्मृति दिलाई की *भगवान मेरे साथ है* तो मेरा भविष्य उज्जवल ही उज्जवल है... संकल्पों की कीमत को पहचाना... *संकल्प शक्ति* पर विशेष रुप से अटेंशन दिया... अटेंशन रूपी पहरा बढ़ाया... यह समझ में आने लग रहा है कि चिंता चिता समान है *आत्मचिंतन और परमात्मा चिंतन* से चित को हल्का किया किसी भी बात को परिस्थिति समझने की बजाए उसे *साइड सीन* समझा।
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